अब तक आपने खाद्य साम्रगी और अन्य चीजों के दाम तो बढ़ते देखा और झेला होगा लेकिन अब तक जिस रेल ने आपको महंगाई से थोड़ी राहत दी थी वह भी आपका तेल निकालने के लिए तैयार है. यूं तो पांच राज्यों में चुनाव के समय सरकार रेल किरायों में बढ़ोत्तरी कर कोई लफड़ा मोल नहीं लेगी लेकिन अगर ऐसा होता है तो आम आदमी को जरूर जोर का झटका लगेगा क्यूंकि यह बढ़ोत्तरी कोई एक दो प्रतिशत नहीं बल्कि 25 प्रतिशत होने वाली है.
आम जनता पर यह बोझ भारतीय रेल की ओर से डाले जाने की तैयारी है. भारतीय रेल के आधुनिकीकरण के लिए बनी उच्च स्तरीय समिति ने रेल किराये में एकमुश्त 25 फीसदी बढ़ोत्तरी की सिफारिश की है.
सैम पित्रोदा के नेतृत्व में बनी समिति ने ट्रेन किराये को महंगाई दर से जोड़ने की भी वकालत की है. उन्होंने कहा कि उनकी इन सिफारिशों पर अमल करने से अगले वित्त वर्ष में रेलवे 60 हजार करोड़ रुपये जुटा सकता है.
रेलवे बजट से पहले योजना आयोग से समिति ने कहा है कि पांच साल में रेल के आधुनिकीकरण के लिए 9,13,000 करोड़ रुपये चाहिए. किराये में बढ़ोत्तरी करके इसका एक हिस्सा जुटाया जा सकता है. 25 फीसदी बढ़ोत्तरी से 37,500 करोड़ रुपये जुटाए जा ही सकते हैं.
रेलमंत्री को खबर ही नहीं
रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी ने अजमेर में कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि रेल किराए में 25 फीसदी वृद्धि की बात कहां से उड़ी है. अब यह तो हद हो गई कि खुद रेलमंत्री को ही इस पूरे प्रकरण के बारे में कोई खबर ही नहीं.
क्या होगी यह बढ़ोत्तरी ?
रेल बजट में एकमुश्त 25 फीसदी किराया वृद्धि की चर्चाओं को राजनीतिक हलकों में कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को पलीता लगाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
सिफारिशें चाहे जो हों लेकिन रेल किराए में वृद्धि आसान नहीं है. 25 फीसदी की एकमुश्त वृद्धि तो असंभव है. पहले कभी इतनी वृद्धि हुई भी नहीं. यह सही है कि पिछले साढ़े आठ साल से किराया नहीं बढ़ा है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि एक बार में सारी कसर निकाल ली जाए. यह सही है कि रेलमंत्री त्रिवेदी प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय और योजना आयोग की तरह किराया बढ़ाने के पक्ष में हैं. लेकिन दीदी के साथ रहते वह 10-12 फीसदी से ज्यादा किराया बढ़ाने (वह भी एसी दर्जो में) की हिम्मत भी जुटा पाएंगे, इसमें संदेह है.
हालांकि यह साफ है कि ममता बनर्जी कतई किराया बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं. ऐसे में यह खबर उड़ने से जनता में यही संदेश जाएगा कि कांग्रेस किराया बढ़ाने का दबाव बना रही है.
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