इंसान चाहे मरने से पहले कितना भी बुरा हो पर मरने के बाद उसके शव की इज्जत करना हम सभी का फर्ज होता है क्यूंकि वह भी एक मनुष्य ही होता है. बड़े से बड़े आतंकवादी या शैतान को मारने के बाद थोड़ी इज्जत जरूर दी जाती है. लेकिन शायद अमेरिकी सेना के लिए आतंकवादी का शायद कोई मानवाधिकार या मोल नहीं होता. तभी तो वह आतंकवादी और आकंतवादी होने का शक होने वाले बेकसूरों को भी अमानवीय मौत देते हैं. और मामला सिर्फ मौत तक ही नहीं थमता मौत के बाद भी अमेरिकी सैनिक इन आतंकवादियों और कभी-कभी बेकसूरों के शवों के साथ ऐसी हरकतें करते हैं जैसी वहशी-दरिंदे भी नहीं करते.
शवों पर पेशाब!
ताजा मामला है अमेरिकी नौसैनिक और तालिबानी आतंकवादियों से जुड़ा हुआ. हाल ही में एक वीडियो जारी हुआ है जिसमें अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान में कथित तौर पर तालिबान लड़ाकों के शव पर पेशाब करते दिखाया है.
वीडियो में चार अमेरिकी नौसैनिकों को सैन्य वेशभूषा में जमीन पर पड़े खून से सने शवों पर पेशाब करते हुए दिखाया गया है. वीडियो को देखकर ऐसा लगता है कि इन चारो को वीडियो के फिल्माए जाने की जानकारी थी. वीडियो में एक नौसैनिक को पेशाब करने के बाद ‘दोस्तों, दिन अच्छा हो’ कहते हुए दिखाया गया है. अमेरिकी मीडिया ने सैन्य अधिकारियों के हवाले से कहा कि जिस तरह के हथियार सैनिकों ने अपने हाथों में ले रखे हैं, उससे लगता है कि वे स्नाइपर [निशानेबाज] टीम के हो सकते हैं.
तालिबान को बनाया कब्रिस्तान
अफगानिस्तान में करीब 20 हजार नौसैनिक तैनात हैं, जिनमें से ज्यादातर दक्षिणी शहर कंधार और हेलमंद प्रांत में तैनात हैं. अमेरिकी सैनिकों ने अफगानिस्तान में बेहद अमानवीय तरीके से आतंकवादियों को पकड़ने और उन्हें मारने का काम किया है. इस क्रम में वह कई बार इतने अधिक गुस्सैल हो जाते हैं कि अमानवीय कार्य भी कर जाते हैं. कभी पकड़े गए आतंकवादियों के परिवार वालों को मार देना तो कभी शव पर पांव रखकर फोटो खिंचवाना और महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार करना तो आम बात है.
अमेरिकी सैनिक यहां काफी लंबे समय से हैं. बिना छुट्टी के वह लगातार काम करते रहने की वजह से गंभीर मानसिक दबाव झेल रहे हैं. इन सैनिकों में अब काफी हद तक मानवीय संवेदनाएं खत्म हो गई हैं. अपने ही सैनिकों को गोली से भून देना, महिला सैनिकों के साथ दुर्व्यवहार, बिना मतलब गोलीबारी करना इसी का सबूत है.
लेकिन फिर भी अमेरिका मान रहा है कि इसमें उन सैनिकों की कोई गलती नहीं है. इतना सब होने के बाद भी अमेरिका अफगानिस्तान से अपनी सेनाएं हटाने को राजी ही नहीं है. आज अफगानिस्तान एक कब्रिस्तान में तबदील हो चुका है पर अमेरिका का दिल है कि अभी भी लाशों की कतार लगाने को लालायित है.
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