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किम जोंग इल : तानाशाही युग का अवसान

North Korean leader Kim Jong Il dead

किंग जोंग इल को ना सिर्फ एक तानाशाह के रूप में देखा जाता था बल्कि उनकी गिनती उन कुछ नेताओं में होती है जो तानाशाह होने के बाद भी जनता के बीच लोकप्रिय थे. कुछ लोग उन्हें काला जादू का मालिक मानते थे तो कुछ उन्हें एक रंगीन-मिजाज तानाशाह. अपनी गद्दी और शासन के लिए किंग जोंग ने कुछ ऐसे काम किए थे कि लोग उनकी मौत के बाद उन्हें सिर्फ नरक का ही उत्तराधिकारी मानते हैं. चाहे देश में गरीबी से लोग मर रहे हों या भुखमरी से उन्हें किसी की कोई परवाह नहीं रही. अगर इस इंसान ने किसी की परवाह की तो वह थी अपने सैन्य ताकत की.


उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग इल का निधन हो गया है. वह 69 वर्ष के थे. अत्यधिक शारीरिक एवं मानसिक थकान के कारण किम जोंग इल का 17 दिसंबर, 2011 को सुबह साढे़ आठ बजे मृत्यु हुई.


किम जोंग-इल के जन्म को लेकर कई विवाद हैं. कई लोग मानते हैं कि जोंग इल का जन्म 1941 में माउंट पेक्टू में हुआ था. उनके बचपन का नाम यूरी था. कई लोग उन्हें काला जादू का विशेषज्ञ मानते हैं.


kim-jong-ilरंगीन मिजाजी का दूसरा नाम

तानाशाह किम जोंग इल को फिल्मों का बहुत शौक था. किम जोंग ने 6 ओपेरा भी तैयार किए, जिन्हें अब तक रचे गए नाटकों से बेहतर बताया जाता है. 1978 में उन्होंने दक्षिण कोरियाई डायरेक्टर शिन सांग ओक और उसकी एक्ट्रेस पत्नी के अपहरण का आदेश दिया. दोनों को इस शर्त पर रिहा किया गया कि वह उत्तर कोरिया के फिल्म उद्योग में मदद करेंगे. उन्हें जेम्स बॉंड की फिल्में बहुत पसंद थीं.


हुस्न का लुटेरा भी था!

किम जोंग इल दक्षिण कोरिया की महिलाओं को जबरन कैदी बनाने के लिए बहुत कुख्यात रहा है. माना जाता है कि उसके पास 2000 महिलाओं की एक सेना थी जिसे वह अपने प्लेजर ग्रुप में रखता था. इसमें से अधिकतर को वह जबरन भर्ती करता था. इन महिलाओं को मुख्यत: तीन कामों के लिए भर्ती किया गया था. पहला सेक्सुअल सर्विसों के लिए, दूसरा मसाज और तीसरा डांसिंग और सिंगिंग के लिए.


सत्ता की बागडोर

किम जोंग-इल ने पिता की मृत्यु के बाद 1994 में सत्ता की बागडोर अपने हाथ में ली थी. वह सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी के महासचिव और राष्ट्रीय रक्षा आयोग के अध्यक्ष रहे. किम जोंग इल ने 2006 में पहला परमाणु परीक्षण कर अपने देश को परमाणु संपन्न देशों की कतार में खड़ा कर दिया. सितंबर 2010 में किम जोंग इल ने अपने तीसरे बेटे बीस वर्षीय किम जोंग उन को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था.


किम जोंग-इल ने हमेशा अपना ध्यान सेना पर ही रखा. उनके नियंत्रण में उत्तर कोरिया ने दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में से एक सेना का गठन किया. साल 1953 से उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया का जो युद्ध चल रहा था उसे किम जोंग ने और तेज कर दिया और अपनी परमाणु ताकत को बड़ा कर अमेरिका तक को हिला रखा था. किम जोंग के मरने के बाद बेशक उत्तर कोरिया में शोक का माहौल हो पर वहां की आम जनता जो पिछले 17 सालों से इस क्रूर शासक के अधीन थी वह और अमेरिका राहत की सांस ले रहे हैं.


किंग जोंग इल ने सेना तो बहुत बड़ी खड़ी की पर वह ग़रीबी हटाने में नाकामयाब रहे. आर्थिक अव्यवस्था और खाद्य पदार्थों की कमी के चलते 1990 में करीब बीस लाख लोगों की मौत हो गई. इल की सरकार पर अत्याचार, बंधुआ मज़दूरी, जबरन गर्भपात और तकरीबन 2,00,000 लोगों को बंदी बनाने का आरोप था.


अगर इस समय उत्तर कोरिया की जनता सेना के खिलाफ बगावत करती है और उसे सही मार्गदर्शन मिलता है तो उम्मीद जताई जा सकती है कि उत्तर कोरिया में जीने का स्तर सुधरेगा.

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