बहुत से ऐसे लोग हैं जो 60 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते खुद को परिवार या हालात के आगे छोड़ देते हैं. वह खुद ही मान चुके होते हैं कि उनकी उम्र पढ़ने-लिखने या सिखने की नहीं बल्की अपने आखिरी दिन गिनने की है.
लेकिन पटना के राजेंद्र नगर के पॉस इलाके में रहने वाले 97 साल के राजकुमार अपने सिखने की ललक को जीवित रखते हुए जब एमए की परीक्षा देने नालंदा ओपन विश्वविद्यालय पहुंचे तो हर कोई उनके कांपते शरीर को हैरतभरी नजरों से देख रहा था.
इस तपती गर्मी में जब राजकुमार क्लास में दाखिल हुए तो वहां मौजूद युवा परीक्षार्थियों को यह समझ में नहीं आया कि यह हो क्या रहा है लेकिन धीरे-धीरे चीजें साफ होने लगी कि ‘97 साल का यह व्यक्ति एमए अर्थशास्त्र पार्ट वन की परीक्षा देने आया है.’ अंग्रेजी भाषा में दिये इस परीक्षा में राजकुमार वैश्य ने कुल 23 पन्नों में अपना जवाब दिया. वह परीक्षा हॉल में लगातार तीन घंटे तक डटे रहे.
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वैश्य के पुत्र संतोष कुमार कहते हैं, ‘पिताजी ने एमए करने की इच्छा जताई थी, तब नालंदा विश्वविद्यालय से संपर्क किया था और पिछले वर्ष उनका नामांकन हुआ था.
दरअसल राजकुमार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बरेली के हैं. उनका जन्म 1 अप्रैल 1920 में हुआ. उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा बरेली के एक स्कूल से पास किया जबकि 1938 में आगरा विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की. यहीं से कानून की डिग्री लेने के बाद वह झारखंड के कोडरमा में नौकरी करने चले गए जहां उन्होंने कुछ दिनों के बाद शादी कर ली.
1977 में सेवानिवृत्त होने के बाद वह घरेलू कामों में व्यस्त रहे. राजकुमार अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहते थे. वह कम से कम एमए की डिग्री हासिल करना चाहते थे. एमए की पढ़ाई करने की ख्वाहिश 77 साल से उनके सीने में दबी थी. राजकुमार के तीन बेटे हैं. पत्नी की मृत्यु के बाद राजकुमार अपने दूसरे बेटे के साथ पटना में रहते हैं…Next
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