दुनिया भर में मशहूर ‘ओल्ड मॉन्क’ रम बनाने वाले कपिल मोहन ने दुनिया को अलविदा कह दिया। 88 वर्षीय कपिल मोहन ‘मोहन मेकिन लिमिटिड’ के चेयरमैन थे। बताया जा रहा है कि कपिल की मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई। उन्होंने गाजियाबाद स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। उनकी कंपनी रम के अलावा और भी कई ड्रिंक्स बनाती है। कपिल मोहन आर्मी में रहे और ब्रिगेडियर रहते उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया था। 2010 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार मिला था। उनके बारे में सबसे खास बात यह है कि दुनिया को अपनी रम से दीवाना बनाने वाले कपिल खुद शराब नहीं पीते थे। कर्मचारियों से भी उन्हें बहुत लगाव था। आइये आपको बताते हैं उनके बारे में ये खास बातें।
शराब कारोबारी के बेटे थे कपिल
मोहन मेकिन के सफर की शुरुआत आजादी से पहले हो गई थी। दरअसल, जलियावाला बाग हत्याकांड वाले जनरल डायर के पिता एडवर्ड डायर ने सन् 1855 में हिमाचल के कसौली में एक शराब कंपनी खोली थी, जिसका नाम डायर ब्रियुरी रखा था। आजादी के बाद इस कंपनी को एनएन मोहन ने खरीद लिया और नाम बदलकर मोहन मेकिन लिमिटेड कर दिया। कपिल मोहन इन्हीं एनएन मोहन के बेटे थे।
कहते थे, ओल्ड मॉन्क की शोहरत ने मुझे थाम दिया
ओल्ड मॉन्क के मालिक कपिल मोहन की लखनऊ स्थित कंपनी मोहन मेकिन से सुनहरी यादें जुड़ी हैं। 1855 में शुरू हुई इस कंपनी का लखनऊ में सफर एक सदी पार करने वाला है। इस यात्रा के दौरान मोहन मेकिन पुराने लखनऊ में एक लैंडमार्क बन गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी के केयर टेकर हिमाचल प्रदेश निवासी प्रेमचंद कहते हैं कि दुनिया को मशहूर ‘ओल्ड मॉन्क’ रम देने वाले मोहन खुद शराब नहीं पीते थे। वे कहते थे ‘मैं शराब नहीं पीता, लेकिन ओल्ड मॉन्क की शोहरत ने मुझे थाम दिया’।
विमान हाईजैक करने वालों को दबोचने पर हुए सम्मानित
बताया जाता है कि कपिल मोहन कर्मचारियों के साथ अक्सर चामुंडा देवी और ज्वाला देवी जाते थे। एक बार लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट पर विमान हाईजैक हुआ, तो उन्होंने अपहरणकर्ताओं को दबोच लिया था। इसके लिए उन्हें कई सम्मान और पुरस्कार मिले। लगभग 9 साल पहले वे लखनऊ से चले गए थे। फैक्ट्री बंद होने से वहां लगभग 22 एकड़ का परिसर वीरान पड़ा है।
कर्मचारियों को कराते थे तीर्थ यात्रा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनकी कंपनी में काम करने वाले बताते हैं कि कपिल मोहन ने फैक्ट्री कर्मचारियों के लिए हॉस्पिटल और पोस्ट ऑफिस तक खुलवाए। वे कर्मचारियों को नियमित तीर्थ यात्रा कराते थे। हर कर्मचारी के सुख-दुख में खडे़ रहते थे। गरीबों को कंबल और भोजन बांटना उनका नियमित काम था।
शराबबंदी में भी नहीं रोका वेतन!
खबरों की मानें, तो सन् 1979 में मोरारजी देसाई सरकार में जब शराबबंदी हुई, तब उन्होंने फैक्ट्री के मजदूरों से कहा कि किसी को भूखे नहीं मरने दूंगा। उन्होंने लंबे अरसे तक किसी का वेतन नहीं रोका। कपिल मोहन को पशु-पक्षियों से भी बेहद लगाव था। बताया जाता है कि उन्होंने अपने मोहन नगर में शेर तक पाला था…Next
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