एक रुपये का सिक्का आज भी बड़े काम आता है, क्योंकि हर शगुन में इसे ही इस्तेमाल में लाया जाता है। लेकिन एक दौर ऐसा था कि परिवार के सदस्य एक रुपये के नोट को ढूंढते रहते थे। तभी तो इसकी उम्र भी अब 100 साल की हो चली है। ऐसे में चलिए जानते हैं कैसा रहा है इस 100 रुपए के सिक्के का अब तक का सफर और एक रोचक इतिहास।
चांदी का होता था एक का सिक्का
पहले विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजी हुकूमत का राज था, उस दौरान एक रुपये का सिक्का चला करता था जो चांदी का हुआ करता था। लेकिन युद्ध के चलते सरकार चांदी का सिक्का ढालने में असमर्थ हो गई। ऐसे में फैसला लिया गया कि अब एक रुपये का नोट छापा जाएगा, ऐसे में ठीक 100 साल पहले एक रुपये का नोट सामने आया जिस पर ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम की तस्वीर छपी थी।
1926 में बंद हुई नोट की छपाई
भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट के अनुसार इस नोट की छपाई को पहली बार 1926 में बंद किया गया क्योंकि इसकी लागत अधिक थी। इसके बाद इसे 1940 में फिर से छापना शुरु कर दिया गया जो 1994 तक जारी रहा। बाद में इस नोट की छपाई साल 2015 में फिर शुरु की गई।
भारत सरकार करती है इस नोट की छपाई
इस नोट की सबसे खास बात यह है कि इसे अन्य भारतीय नोटों की तरह भारतीय रिजर्व बैंक जारी नहीं करता बल्कि स्वयं भारत सरकार ही इसकी छपाई करती है। इस पर रिजर्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर नहीं होता बल्कि देश के वित्त सचिव के दस्तखत होता है। इतना ही नहीं कानूनी आधार पर यह एक मात्र वास्तविक ‘मुद्रा’ नोट (करेंसी नोट) है बाकी सब नोट धारीय नोट (प्रॉमिसरी नोट) होते हैं जिस पर धारक को उतनी राशि अदा करने का वचन दिया गया होता है।
18 वित्त सचिवों के हस्ताक्षर वाले एक रुपये के नोट
पहले एक रुपये के नोट पर ब्रिटिश सरकार के तीन वित्त सचिवों के हस्ताक्षर थे। ये नाम एमएमएस गुब्बे, एसी मैकवाटर्स और एच. डेनिंग थे। आजादी से अब तक 18 वित्त सचिवों के हस्ताक्षर वाले एक रुपये के नोट जारी किए गए हैं, जो अपने आप में एक खास बात है।…Next
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