पाकिस्तान में न्याय की स्थिति क्या है यह जानने के लिए आपको किसी किताब को उठाकर देखने की जरूरत नही हैं बल्कि इसके लिए आपको बस आज की खबर ही देख लेना काफी है. आज पाकिस्तान के इतिहास में एक सजायाफ्ता यानि सजा भोग चुके इंसान को प्रधानमंत्री पद पर दुबारा बिठाया गया.
भारत की “शक्ति” से क्या है परेशानी !!
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को अदालत की अवमानना के मामले में दोषी करार दिया. कोर्ट ने उन्हें जेल की सजा न देते हुए अदालत के उठने तक यानी सुनवाई खत्म होने तक की सांकेतिक सजा सुनाई. यहां यह गौर करने वाली बात है कि कोर्ट की कार्यवाही कुछ ही देर चली मात्र 15-20 मिनट तक. राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के शीर्ष अदालत के आदेश का पालन नहीं करने के लिए गिलानी के खिलाफ अवमानना का मामला चल रहा था.
अब आप ही सोच कर देखिए कि जो देश भ्रष्टाचार के आरोपियों को मात्र कुछ मिनटों की सांकेतिक सजा देता है वह आतंकवादियों को कैसे फांसी दे सकता है. और इतना ही नहीं कोर्ट के फैसले के बाद पाक मंत्रिमंडल ने बैठक में तय किया कि प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को नैतिक आधार पर इस्तीफा देने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उन्हें आपराधिक आरोप के तहत दोषी नहीं ठहराया गया.
पाक पहले भी हो चुका है बेपाक
ऐसा पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार नहीं हुआ है. पाकिस्तान में पहले भी ऐसे कारनामे हो चुके हैं. 1999 में पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो को कोर्ट में पेश न होने के लिए दोषी करार दिया गया था. उन्हें कोर्ट ने सात वर्षों तक के लिए संसद से अयोग्य करार दिया था. इसी वक्त पाक शीर्ष कोर्ट ने तत्कालीन राष्ट्रपति पांच वर्षों की सजा भी सुनाई थी. बेनजीर को 1993-96 के दौरान भी कोर्ट की सजा का शिकार होना पड़ा था. 2003 में भी बेनजीर भुट्टो को स्विस कोर्ट ने दोषी करार दिया था.
पाक प्रधानमंत्री को सजा मिलने के बाद वह दुनिया के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बन गए जो शीर्ष कोर्ट द्वारा सजा दिए जाने के बाद भी अपने पद पर मौजूद हैं. पाकिस्तान के इतिहास में मौजूदा प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी सबसे लंबी अवधि तक बने रहने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं. यूसुफ रजा गिलानी 25 मार्च, 2008 से प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हैं.
प्रधानमंत्री को भी मिलती है सजा
अभी तक दुनियाभर में बाइस ऐसे प्रधानमंत्री हुए हैं, जिन्हें वहां की कोर्ट ने दोषी करार दिया है. गिलानी को मिलाकर इनमें से तीन सिर्फ पाकिस्तान से ही हैं. इसमें बेनजीर भुट्टो और उनके पति आसिफ अली जरदारी का नाम शामिल है. इन प्रधानमंत्रियों में नौ प्रधानमंत्री ऐसे थे, जिन्हें फांसी की सजा दी गई. इसमें जुल्फीकार अली भुट्टो भी शामिल रहे. हंगरी से ही चार प्रधानमंत्रियों को दोषी करार देने के बाद फांसी की सजा दी गई.
राष्ट्रपति के तौर पर अमेरिकी कोर्ट अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को भी कोर्ट में झूठ बोलने के अपराध में दोषी करार दे चुकी है.
भारत में कब होगी ऐसी सजा!
भारत की कानून व्यवस्था में शायद ऐसा कोई प्रावधान नहीं है और अगर है भी तो उसके लिए सिस्टम इतना जटिल है कि कोई किसी प्रधानमंत्री को घेरने की कोशिश ही नहीं करता. वरना अगर देश की न्यायिक व्यवस्था में इतनी क्षमता होती तो देश में जो आए दिन घोटाले सामने आ रहे हैं और उनमें देश के प्रधानमंत्री का नाम भी आ रहा है वह नहीं आता. खैर हमारी खोखली न्यायिक व्यवस्था का मखौल उड़ाने के लिए कसाब और अफजल गुरू जैसे लोग ही काफी हैं.
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