‘क्या करना है ये दौलत और शोहरत लेकर, हर पहचान कफन तक जाकर खत्म हो जानी है’.
जिदंगी और मौत से जुड़ी हुई ऐसी सच्चाई जिसे हर कोई सुनता तो है लेकिन समझना नहीं चाहता. हम सभी जानते हैं कि मरने के बाद आपका नाम, जाति, पेशा सब कुछ मिट्टी के साथ चला जाएगा लेकिन फिर भी कुछ लोग मौत के बाद भी इन दुनियावी बातों को जिंदा रखने का फितूर पाले बैठे हैं. कुछ ऐसा ही वाक्या पेश आया उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद से, जहां पर एक शहीद जवान का अंतिम संस्कार के लिए जमीन मांगने पर उच्च जाति के लोगों ने विरोध जताया शुरू कर दिया.
दरअसल, जम्मू-कश्मीर में पंपोर आतंकी हमले में सीआरपीएफ जवान के शहीद होने पर उनका अंतिम संस्कार करने के लिए गांव की उच्च जाति के लोगों ने विरोध जताते हुए एक नीची जाति के इंसान को जमीन देने से इंकार कर दिया. सीआरपीएफ के शहीद जवान वीर सिंह यूपी के फिरोजाबाद के रहने वाले थे. ये घटना शिकोहाबाद का नागला गांव की है. वीर सिंह के घर वाले उनकी मूर्ति भी लगवाना चाहते थे लेकिन गांव वालों ने ये भी नहीं करने दिया. एक राष्ट्रीय समाचार पत्र से बात करते हुए ग्राम प्रधान विजय सिंह ने बताया, ‘शहीद का परिवार पब्लिक लैंड पर शहीद का दाह संस्कार करना चाहता था और उनकी मूर्ति लगवाना चाहता था.
गांव वाले इस पर राजी नहीं थे. लेकिन एसडीएम से घंटों बातचीत के बाद, गांव वाले मान गए.’ उल्लेखनीय है कि 52 साल के वीर सिंह अपने परिवार में इकलौते कमाने वाले थे. 1981 में सीआरपीएफ जॉइन की थी. उनकी फैमिली करीब 500 स्क्वायर फुट की जगह में बने ‘वन रूम सेट’ में रहती है. छत की जगह पर टिन शेड है. तीन बच्चे हैं. शहीद की शहादत पर इस तरह की घटना ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि वन्दे मातरम और भारत माता की जय चिल्लाने वाले लोग कितने देशभक्त हैं, जो देश की सीमा पर रात-दिन खड़े रहकर भी सिर्फ अपनी जाति की वजह से थोड़ी-सी जमीन देने के लिए भी इतनी नीच हरकत पर उतारू हो सकते हैं. हमें एक बार फिर से देशभक्ति की सही परिभाषा समझने के लिए खुद में उतरने की जरूरत है…Next
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