Menu
blogid : 314 postid : 860471

जहर का नहीं होता यहां के लोगों पर कोई असर, वैज्ञानिक भी पड़े हैरत में

यह मनुष्य को ज्ञात सबसे जहरीले पदार्थों में से एक है. इसका प्रयोग राजाओं, सम्राटों और रेस जीतने वाले घोड़ों को मारने के लिए किया जाता रहा है. पर धरती पर एक ऐसा मानव समुदाय भी है जिसपर यह जहर काम नहीं करता. इस जहर का नाम है आर्सेनिक. कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि नेपोलियन की मृत्यु इसी जहर के कारण हुई थी पर वैज्ञानिक यह जानकर हैरान हैं कि अर्जेंटीना के एक छोटे से जनसमुदाय पर इस जहर का असर नहीं होता.


Arsenic-010


अभिक्रिया करके उसे हानिरहित पदार्थ में बदल देती है.


Read: जब मुंह खोलते हैं जहर ही उगलते हैं ये नेता


आर्सेनिक का बेहद कम मात्रा भी फेंफड़े, दिल, किडनी और लीवर को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है और कैंसर, मधुमेह और दिल की बीमारियों का कारण बन सकता है. अगर इसे अधिक मात्रा में ले लिया जाए तो यह इम्यून सिस्टम को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, धमनियों के फटने और रक्तस्राव का कारण बन सकता है, यहां तक की कोमा और मौत का भी कारण बन सकता है. हालांकि आर्सेनिक एक ऐसा जहर है जो दुनियाभर के करोड़ों लोगों के शरीर में पानी के साथ पहुंचता है. लाखों भारतीय भी रोजाना इस जहर को पीने के लिए मजबूर हैं.


argentina


एक अनुमान के मुताबिक 13 करोड़ 70 लाख लोग दुनियाभर में आर्सेनिक से संक्रमित भोजन और जल लेने के लिए मजबूर हैं. भारत में गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानों में और बांग्लादेश में पदमा-मेघना नदी के मैदानों के भूजल में आर्सेनिक का संक्रमण, विश्व का सबसे बड़ा भूजल प्रदुषण का मामला बताया जाता है. भारत के 7 राज्यों में अबतक भूजल का आर्सेनिक संक्रमित होने का मामला सामने आ चुका है. यह राज्य है पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर-प्रदेश, असाम, मणिपुर और छत्तीसगढ़. इन राज्यों में रहने वाले करोड़ों लोग इस जहर से दूषित जल पीने को मजबूर हैं. अब तक भूजल का आर्सेनिक से संक्रमित होने के कारणों से संबंधित कई परिकल्पनाएं प्रस्तुत की जा चुकीं हैं पर वैज्ञानिक आजतक इसके सर्वमान्य कारणों तक नहीं पहुंच पाएं हैं.


Read: सांप के जहर की ऐसी असलियत जो आपके होश उड़ाने के लिए काफी है, देखिए क्या हुआ जब इंसान के खून में मिला जहरीले नाग का जहर


भारत में आर्सेनिक प्रदूषण के मामलों को देखते हुए अर्जेटीना में हुआ यह शोध काम का हो सकता है. बहरहाल हम यह कतई सुझाव नहीं दे रहे हैं कि भारत में भी लोगों के शरीर को आर्सेनिक प्रतिरोधी होने तक इंतजार किया जाना चाहिए क्योंकि ये प्रक्रिया हजारों वर्ष लेती है और तब तक कई पीढ़ियां आर्सेनिक नामक जहर की भेंट चढ़ चुकी होंगी. इस समस्या से पार पाने के लिए जो उपाय सुझाए गए हैं उनमें भूजल के लिए गहरी बोरिंग करना, आर्सेनिक से दूषित जल का इस्तेमाल से पहले शुद्धिकरण, जल शोधन के बाद पीने के लिए सतही जल का प्रयोग आदि उपाय शामिल है. Next…


Read more:

सांप के जहर से गल गई अंगुली पर फिर भी जीता है उन्हीं के लिए !!

नल से टपकते पानी और धन की बर्बादी का क्या है संबंध

बाप रे! भारत में कहाँ से आया उड़ने वाला सांप ?


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh