भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में किसी राजनेता का राजनीतिक झुकाव किसी दूसरे राजनेता के लिए अवसर बनकर सामने आता है. जैसे हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने अपने वरिष्ठ राजनेताओं के ढ़लते राजनीतिक कॅरियर को भांपते हुए अपने लिए अवसर पैदा किया. लेकिन दक्षिण भारत में ऐसा नहीं है, खासकर तमिलनाडु में.
यहां राजनेता कितना भी बड़ा भ्रष्ट क्यों न हो उसके लिए जनता, कार्यकर्ता और राजनेता में इस कदर की श्रद्धा होती है कि वे जान देने के लिए भी तैयार हो जाते हैं. वर्तमान में कुछ इस तरह की स्थिति तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के लिए देखने को मिल रही है. अबतक मिली खबरों के मुताबिक जिस दिन से जयललिला को आय से अधिक संपत्ति मामले में 4 साल की सजा सुनाई गई तब से लेकर अब तक 16 लोगों ने जान दे दी है.
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बताया गया है कि 19 साल की एक कॉलेज छात्रा सहित 6 लोगों ने खुदकुशी कर ली है, जबकि 10 की हार्ट फेल हो जाने से मौत हो गई. इसके अलावा कई लोग गंभीर हालात में अस्पताल में भर्ती हैं. यही नहीं, मामले की गंभीरता को देखते हुए कॉलीवुड के नाम से प्रसिद्ध तमिल फिल्म इंडस्ट्री भी बंद कर दिया गया है. तमिल फिल्म इंडस्ट्री के प्रतिनिधि दिन भर का उपवास और मौन व्रत रख रहे हैं.
पहले भी लोगों ने दी जान
वैसे यह पहला मामला नहीं है जब किसी राजनेता के लिए तमिलनाडु में इस तरह की स्थिति पैदा हुई हो. इससे पहले 1969 में सीएन अन्नादुरई के निधन के बाद कई लोगों ने जान दी थी. उसके बाद तीन बार के सीएम एमजी रामचंद्रन के निधन के बाद 30 लोगों के खुदकुशी की थी और 100 लोगों ने आत्मदाह का प्रयास किया. 1981 में करुणानीधि की गिरफ्तारी 5 लोगों मौत की वजह बनी.
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रो पड़े राजनेता
जयललिता के इस्तीफे के बाद नए मंत्रिमंडल के गठन के दौरान बहुत ही भावुक दृश्य देखने को मिला. तमिलानाडु के राज्यपाल ने जब नए मुख्यमंत्री पन्नीसेलवम को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई तो वे अपने आंसु नहीं रोक पाए. शपथ लेते समय उनका गला रुंध गया. एक बार तो उन्होंने रूमाल निकालकर अपने आंसू भी पोंछ लिए. उनके शपथ लेने के बाद जब अन्य मंत्रियों ने शपथ ली तो वो भी अपने आसूंओं को रोक नहीं पाए.
बीते एक साल में पार्टी के बड़े नेता और कर्ताधर्ता को अपने बुरे कामों की वजह से कारागृह का मूंह देखना पड़ा था तब उस दौरान इस तरह का माहौल देखने को नहीं मिला बल्कि जनता ने खुशी जाहिर की थी कि आखिरकार इस भ्रष्ट नेता को जेल हो ही गई, लेकिन तमिलनाडु इन सभी मामलों से बिलकुल ही अलग है.
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