कभी केंद्र सरकार में किंग मेकर की भूमिका निभाने वाले लालू प्रसाद यादव फिलहाल रांची की एक जेल में बंद हैं. उन्हें चारा घोटाले के एक केस में दोषी पाया गया है. आने वाले 3 अक्टूबर को सजा का ऐलान किया जाएगा. बताया जा रहा है कि उन्हें फर्जीवाड़ा, धोखाधड़ी, बहीखातों में हेराफेरी और षड़यंत्र के साथ ही भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत अधिकतम सात वर्ष की सजा हो सकती है.
आरजेडी के सामने चुनौतियां
अगर लालू प्रसाद यादव को सजा होती है तो राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि वह किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी.
लालू प्रसाद ने जेल जाने से पहले साफ-साफ कह दिया है कि उनका बेटा तेजस्वी पार्टी को संभालेगा. लेकिन क्या ऐसा लगता है कि अनुभवहीन तेजस्वी बिहार की कभी सबसे बड़ी पार्टी रही आरजेडी की कमान संभाल पाएंगे. राजनैतिक विशेषज्ञों की मानें तो भले ही लालू के दोनों बेटे तेजप्रताप और तेजस्वी राजनीति में आ चुके हैं लेकिन इनके नेतृत्व में राजद के कई नेता चुनाव लड़ने को तैयार नहीं होंगे, ऐसी प्रबल संभावना अभी से ही बन गई है. राजद के कुछ बड़े नेता और पार्टी विधायक दल के नेता जदयू की ओर रुख कर चुके हैं.
तेजस्वी का विरोध करने वालों में पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद, प्रभुनाथ सिंह और अब्दुल बारी सिद्दीकी जैसे नेता हैं. ये वे नेता हैं जिन्होंने लालू यादव के साथ अपने राजनैतिक कॅरियर की शुरुआत की थी. ये कभी नहीं चाहेंगे कि उनका नेता एक नौसिखिया हो. हालांकि ऐसे में लालू इन वरिष्ठ नेताओं में से किसी एक को पार्टी की कमान सौप देंगे इसमें भी संदेह है.
आखिर में एक विकल्प राबड़ी देवी ही बचती हैं क्योंकि 1997 में जब लालू जेल जा रहे थे तो जाते-जाते अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री पद पर बिठा दिया था और उनके दल के नेताओं ने इसे स्वीकार भी कर लिया. लेकिन वह दौर कुछ और था. आज पार्टी की स्थति बिलकुल ही अलग है. पार्टी न तो सरकार में है और न ही उसके पास इतनी सीटें हैं कि पार्टी खुशी-खुशी राबड़ी देवी की नेतृत्व को स्वीकार कर ले. राबड़ी देवी भले ही कहती हैं कि वह अपने बेटे के साथ मिलकर पार्टी की कमान संभालेंगी लेकिन यह इतना असान नहीं दिखता.
वैसे आरजेडी के कई नेता यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि लालू को हाई कोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल सकती है. इस फैसले से पहले वह मान के चल रहे थे कि उनके प्रिय नेता लालू को सीबीआई की विशेष अदालत से कोई राहत नहीं मिलेगी. क्योंकि जिस सीबीआई अदालत में लालू का केस चल रहा था वहां के विशेष न्यायाधीश बिहार के शिक्षा मंत्री पीके शाही के रिश्तेदार हैं. उन्हें हटाए जाने को लेकर लालू प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में यह अर्जी लगा रखी थी.
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