Menu
blogid : 314 postid : 1234

प्रशांत भूषण पर हमला : सही या गलत

भारत में सभी को अपना मत रखने और विचारों को अभिव्यक्त करने की आजादी है. ऐसे में अगर कोई इंसान आम मंच से अपनी राय जाहिर करे और कहे कि कश्मीर जैसे राज्य में शांति कायम करने के लिए जनमत संग्रह कराना चाहिए तो इसमें कोई गलत बात नहीं है. यह उसका निजी विचार है. लेकिन एक बड़े वकील का इस तरह से बयान देना कि देश के एक राज्य को अगर अलग होना मंजूर है तो कर दो अलग बिलकुल गलत है. प्रशांत भूषण ने जो बयान दिया उसे अगर निजी विचार ना माना जाए तो हो सकता है उन पर राजद्रोह और देश बांटने जैसे गंभीर आरोप लगें पर चूंकि वह वकील हैं और उन्हें अपने अधिकारों का ज्ञान है इसलिए अभिव्यक्ति की आजादी के आधार पर उन्होंने कुछ समय पहले कश्मीर पर एक बयान दिया था जिसकी वजह से कुछ तथाकथित देशप्रेमियों ने उनकी चैंबर में घुसकर धुनाई कर दी.


Prashant Bhushan attackedप्रशांत भूषण के साथ मारपीट: अधिवक्ता और अन्ना हज़ारे पक्ष के सदस्य प्रशांत भूषण से बुधवार को संदिग्ध तौर पर एक दक्षिणपंथी संगठन से जुड़े तीन युवकों ने मारपीट की. माना जा रहा है कि जिन्होंने मारपीट की वह “श्रीराम सेना” नामक एक संगठन से जुड़े हैं. यह घटना सुप्रीम कोर्ट में उनके चैम्बर में हुई. बताया जाता है कि इन युवकों ने जम्मू कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की भूषण की टिप्पणी के विरोध में उन पर यह हमला किया.


यह घटना सुप्रीम कोर्ट के ठीक सामने बने न्यू लॉयर्स चैम्बर स्थित उनके चैम्बर क्रमांक 301 में हुई. दो लोग उनके कमरे में घुसे ‘कश्मीर, कश्मीर’ करते हुए उन पर हमला कर दिया. भूषण एक टीवी चैनल को साक्षात्कार देने की तैयारी कर रहे थे, तभी हमलावरों ने उन्हें थप्पड़ मारे और फिर उनका चश्मा खींच लिया. युवकों ने उन्हें कुर्सी से उठाकर जमीन पर गिरा दिया और उनसे मारपीट की. भूषण की मदद के लिए आगे आए उनके सहायक से भी हमलावरों ने मारपीट की. एक हमलावर इंदर वर्मा को पकड़ लिया गया.


Bhushanक्या थी फसाद की जड़

प्रशांत भूषण ने 24 सितंबर को वाराणसी में संवाददाताओं से कहा था कि कश्‍मीर में स्थिति को सामान्‍य बनाया जाना चाहिए. वहां के लोगों को जीने का हक मिलना चाहिए. सेना और आर्म्ड फोर्सेस को कम करना चाहिए. हमें कोशिश करनी चाहिए कि वहां के लोग हमारे साथ आ पाएं. इसके बाद भी अगर वो साथ नहीं आना चाहते हैं तो कश्‍मीर में जनमत संग्रह हो सके तो ज्‍यादा अच्‍छा है और अगर कश्‍मीर के लोग अलग होना चाहते हैं तो अलग होने देना चाहिए.


कुछ सही कुछ गलत: प्रशांत भूषण ने एक जगह अपने भाषण में साफ कहा था कि “अगर कश्मीर अलग होना चाहता है तो उसे अलग होने देना चाहिए.” एक बड़े वकील और मीडिया की नजर में रहने वाले व्यक्ति का यह बयान सरासर देश-द्रोह की श्रेणी में आता है जहां वह देश के बंटवारे की बात करता है. कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा. अगर किसी भी हालत में कश्मीर को पृथक किया जाता है तो यह उन करोड़ो शहीदों का अपमान होगा जिन्होंने इसकी रक्षा के लिए अपना जीवन त्याग दिया. यह उन करोड़ो नौजवानों का अपमान होगा जो अपनी जवानी देश के नाम न्यौछावर कर सीमा पर हर मौसम में डटे रहते हैं.


भारत के संविधान में कहीं भी देश को बांटने का अधिकार किसी को नहीं है. ऐसे में इस तरह के बयान अशोभनीय हैं. लेकिन अगर आपको किसी की कोई बात गलत लगती है तो उसका मतलब यह नहीं कि आप उसके साथ मारपीट शुरू कर दें. अपनी बात रखने और विरोध जाहिर करने के और भी कई तरीके होते हैं. श्रीराम सेना पहले भी इस तरह के विवादों में फंस चुकी है. उसे समझना चाहिए कि जो तौर तरीके वह इस्तेमाल करती है उसे “गुण्डागर्दी” कहते हैं.

सबसे बड़ा सवाल: पर सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट में सुरक्षा के नाम पर ठेंगा दिखाया जाता है. एक आम आदमी एक वकील के चैंबर में जाता है और आराम से उसकी पिटाई करके आ जाता है. फिर तो अगर उसमें और गुस्सा होता तो वह चाकू भी घोंप कर आ सकता था. कोई क्या कर लेता? यह हालत तब है जब कुछ दिन पहले ही दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर विस्फोट हुआ था. क्या दिल्ली में लॉ एंड ऑर्डर नाम की कोई चीज है या नहीं. अगर कोई वकील को ऐसे मार सकता है तो कैदियों और गवाहों की तो खैर ही नहीं.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh