भारत में धर्म को सत्ता और व्यवस्था से जोड़ने का इतिहास बहुत ही पुराना है. इसी को आधार बनाकर सत्ता के भोगियों ने कई-कई सालों तक देश पर राज किया है और आज भी यह लोग खुद या किसी और के द्वारा इस तरह की बात करके सियासी फायदा उठाने में पीछे नहीं हटते.
Read: अकबरुद्दीन ओवैसी ने ऐसा क्या बोला था ?
पहले मजलिसे एत्तेहादुल मुसलमीन (एमआईएम) के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी ने अपने भड़काऊ भाषण से दो समुदायों के बीच खाई पैदा करने कोशिश की. उसके बाद विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया ने आग में घी डालने जैसा काम किया. तोगड़िया ने अपने भड़काऊ भाषण में खुद को हिन्दुओं का प्रतिनिधि मानकर ओवैसी और एक खास समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान दिया था.
फिलहाल तोगड़िया के खिलाफ घृणास्पद बयान देने के लिए महाराष्ट्र के नांदेड़ में मामला दर्ज किया गया है. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 295ए और धारा 505 के तहत यानि जानबूझ कर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए मामला दर्ज किया गया है. तोगड़िया के खिलाफ उस विवाद के बाद मामला दर्ज किया गया जब यह कहा जाने लगा कि अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग पैमाना क्यों अपनाया जा रहा है. अगर ओवैसी को सांप्रदायिक भाषण के लिए गिरफ्तार किया जाता है तो प्रवीण तोगड़िया के लिए यह किस तरह की व्यवस्था है.
Read: खिलाड़ी से सांसद तक का सफर
वैसे प्रवीण तोगड़िया और अकबरुद्दीन ओवैसी ही नहीं हैं जिन्होंने इस तरह के भड़काऊ भाषण दिए हों. 80 के दशक में बाल ठाकरे के उस बयान को कौन भूल सकता है जिसमें जिन्होंने मुसलमानों को इस देश का कैंसर कहा था. आज भी लोग बाबरी मस्जिद और कश्मीर मुद्दे पर सांप्रदायिकता को बढ़ावा दे रहे हैं. जिस तरह से यह लोग किसी धर्म के प्रति भद्दी बातें करते हैं ऐसा लगता है कि उनके मन में धर्म विशेष के खिलाफ कड़वाहट है जिसे वह समाज के सामने उगल रहे हैं.
लेकिन सवाल यह उठता है कि जब आप इस तरह की भड़काऊ बातें करते हैं तो कुछ जगहों पर आपको इसका राजनीति फायदा मिल सकता है. लेकिन जहां पर अल्पसंख्यक हैं वहां नुकसान उठाना पड़ सकता है. अगर आप सच में अपने धर्म की चिंता करते हैं तो आप उनकी दुर्दशा, उनका विकास, उनकी शिक्षा, उनकी बेहतरी के लिए काम करें.
Read Comments