कहते हैं एक गुरु की पहचान उसके छात्र से होती है और वो अपने छात्रों को काबिल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ता है. ऐसी ही एक कहानी है पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के टीचर आलोक सागर की जिन्होंने अपना जीवन एक आदिवासी गांव को समर्पित कर दिया है.
कौन है आलोक सागर
प्रोफेसर आलोक सागर ने 1973 में आईआईटी दिल्ली से एमटेक किया जबकि 1977 में टेक्सास के हयूस्टन यूनिवर्सिटी से मास्टार और पीएचडी की डिग्री ली.
आईआईटी में रह चुके हैं प्रोफेसर
दिल्ली के रहने वाले आलोक पिछले 32 सालों से अपनी सुख-सुविधा को त्यागकर बैतूल जिले में आदिवासी लोगों को शिक्षत करने में जुटे हैं. 1982 में दिल्ली आईआईटी में प्रोफेसर की नौकरी से त्याग पत्र दे दिया. आपको बता दें कि आलोक ने पूर्व रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन को भी पढ़ाया है.
भाई-बहनों के पास भी है अच्छी डिग्रियां
आलोक सागर के पिता सीमा व उत्पाद शुल्क विभाग में कार्यरत थे. एक छोटा भाई अंबुज सागर आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर है. एक बहन अमेरिका में तो एक बहन जेएनयू में कार्यरत थी. सागर को कई सारे विदेशी भाषाएं आती है. यही नहींं वो आदिवासियों से उन्हीं की भाषा में बात करते हैं.
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25 सालों से रह रहे हैं आदिवासियों के बीच
आलोक सागर 25 सालों से आदिवासियों के बीच रह रहे हैं. उनका पहनावा भी आदिवासियों की तरह ही है. वो यहां गांव में झोपड़ी बनाकर रहते है और बच्चों को पढ़ाते हैं. उनका मकसद है कि यहां के लोगों को अच्छी शिक्षा प्राप्त हो सके ताकि वो देश का भविष्य बन सकेंं.
कैसे पता चली उनकी सच्चाई?
उपचुनाव से ठीक पहले निर्वाचन आयोग में आलोक सागर के खिलाफ शिकायत की गई. इस शिकायत के बाद पुलिस ने उनसे गांव छोड़ने को कहा. पुलिस ने जब उन्हें जेल में ड़ालने की बात कही, तो उसके बाद अपने गांव के लोगोंं के कहने पर उन्होंंने अपनी सच्चाई बताई.
गांव को हरा भरा बनाने में कर रहे हैं मदद
आलोक इस गांव में 50 हजार पेड़ लगाने की तैयारी कर चुके हैं. वह यहां के लोगोंं को शिक्षित करने के अलावा उन्हें पर्यावरण की सुरक्षा से भी रूबरू करवाते हैं. वे आदिवासियों के सामाजिक, आर्थिक और अधिकारों की लड़ाई लड़ते हैं. इसके अलावा गांव में फलदार पौधे लगाते हैं…Next
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