आज ऐसे लोग दुनिया में बहुत कम देखने को मिलते हैं जो अपने निजी स्वार्थों को भूलकर देश के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. कई लोग देश के लिए कुछ करने की बातें ही नहीं करते बल्कि उसे अमल में भी लाते हैं. ऐसे ही व्यक्तियों से भरी है टीम अन्ना. इस टीम अन्ना के एक अहम सिपाही हैं संतोष हेगड़े. संतोष हेगड़े भारत के उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायधीश और महान्यायवादी रह चुके हैं. वह कर्नाटक के लोकायुक्त भी थे. हेगड़े को भ्रष्टाचार से लड़ने के बदले अपनी नौकरी भी छोड़नी पड़ी. लेकिन इन सब के बावजूद कर्नाटक के अवैध खनन मामले में उन्होंने मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को आरोपी बताया.
संतोष हेगड़े का जीवन परिचय
16 जून, 1940 को जन्मे संतोष हेगड़े कर्नाटक के उडुपी (Udupi) जिले में पैदा हुए थे. उनके पिता लोकसभा स्पीकर थे, जिनका नाम के. एस. हेगड़े था. संतोष हेगड़े का पूरा नाम नित्ते संतोष हेगड़े (Nitte Santhosh Hegde) है. उनकी प्रारंभिक शिक्षा मद्रास सेंट एलोयसियस कॉलेज, मैंगलोर (St. Aloysius College, Mangalore) और मद्रास क्रिस्चियन कॉलेज (Madras Christian College in Madras) में हुई थी. हेगड़े ने अपनी वकालत की शिक्षा गवर्नमेंट लॉ कॉलेज (Government Law College) से 1965 में पूरी की थी.
संतोष हेगड़े का कॅरियर
वकालत पूरी होने के बाद जनवरी 1966 में वह एडवोकेट बने और 1984 में सीनियर एडवोकेट. साल 1984 से लेकर 1988 तक वह कर्नाटक के एडवोकेट जनरल (Advocate General) भी रहे. इसके बाद वह सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया (Solicitor General of India) के पद पर कार्यरत हुए जहां उन्होंने साल 1989 से 1990 तक कार्य किया और फिर दुबारा 1998 में वह इस पद पर काबिज हुए. साल 1999 में संतोष हेगड़े को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया. साल 2005 में वह भारत के सुप्रीम कोर्ट से जज के रूप में रिटायर हुए. साल 2006 में उन्हें पांच साल के लिए कर्नाटक का लोकायुक्त बनाया गया.
संतोष हेगड़े ने कर्नाटक का लोकायुक्त रहते हुए अवैध खनन के घोटाले का पर्दाफाश करते हुए 22 हजार पन्नों की अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन मुख्यमंत्री येदियुरप्पा पर केस चलाने की बात रखी थी. इसके बाद ही दवाब में आकर येदियुरप्पा ने अपना इस्तीफा दिया था.
2 अगस्त, 2011 को संतोष हेगड़े ने अपना इस्तीफा दे दिया और वह अब पूरी तरह से अन्ना के समर्थन में खड़े हैं. कानून की सभी जानकारी रखने वाले संतोष हेगड़े ने अन्ना के अनशन के दौरान उनकी काफी मदद की है.
संतोष हेगड़े देश के उन सभी जजों और वकीलों के लिए एक आदर्श हैं जो यह समझते हैं कि बिना घूस लिए या दवाब में आए वकालत की जा सकती है.
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