जम्मू कश्मीर के पुलवामा स्थित लेथपोरा में गुरुवार को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले में 40 जवान शहीद हो गए। इसको लेकर पीएम मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) की अहम बैठक हुई। भारत ने इस हमले के तकरीबन 20 घंटे बाद पाकिस्तान के खिलाफ अहम फैसला लिया है। भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा छीन लिया है। ऐसे में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को लेकर भारतीयों के बीच गुस्सा और नफरत देखा जा रहा है। सोशल मीडिया के अलावा भारत में जगह-जगह पाकिस्तान और इस आतंकवादी संगठन का विरोध हो रहा है। लोग सड़कों पर उतरकर आंतकियों के पुतले फूंक रहे हैं। यह पहली बार नहीं है, जब जैश ने भारत में इस तरह के हमले किये हैं। इस सिलसिले की शुरुआत हुई थी जैश के प्रमुख मौलाना अजहर मसूद की गिरफ्तारी के बाद, 24 दिसंबर 1999 को 180 यात्रियों वाले एक भारतीय विमान को अगवा किये जाने के बाद।
इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 का अपहरण
24 दिसंबर 1999 का दिन था। इंडियन एयरलाइंस की फ्लाईट आईसी-814 ने काठमांडू, नेपाल के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरी थी। विमान में कुल मिलाकर 180 यात्री और क्रू मेंबर सवार थे। विमान एयरबस ए300 था। जैसे ही विमान करीब शाम के साढे 5 बजे भारतीय हवाई क्षेत्र में दाखिल हुआ, तभी बंदूकधारी आतंकियों ने विमान का अपहरण कर लिया। और वे विमान को अमृतसर, लाहौर और दुबई होते हुए कंधार, अफगानिस्तान ले गए। विमान को यात्रियों समेत छोड़ने के एवज में आंतकियों ने कुछ मांगे रखी थी। अपहरणकर्ताओं ने शुरू में भारतीय जेलों में बंद 35 उग्रवादियों की रिहाई और 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर नगद देने की मांग की थी।
तीन आंतकियों की रिहाई पर हुआ था समझौता
वाजपेयी सरकार ने सिर्फ तीन आंतकियों की रिहाई का समझौता किया। विदेश मंत्री जसवंत सिंह खुद उन तीन कुख्यात आतंकियों को लेकर कंधार के लिए रवाना हो गए थे। वे कंधार हवाई अड्डे पर पहुंचे और वहां आतंकी मौलाना मसूद अजहर, अहमद ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद को रिहा कर दिया गया। तीनों आतंकियों के रिहा होते ही विमान संख्या आईसी-814 में बंधक बनाए गए सभी यात्रियों को रिहा कर दिया गया।
इसके बाद ही मौलाना मसूद अजहर ने फरवरी 2000 में जैश-ए-मोहम्मद की नींव रखी और उसके बाद से भारत में कई चरमपंथी हमले को अंजाम दिया। उस वक्त मौजूद हरकत-उल-मुजाहिदीन और हरकत-उल-अंसार के कई चरमपंथी जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुए थे।
कैसे हुआ पुलवामा हमला
जैश के आतंकी आदिल अहमद उर्फ वकास कमांडो ने दोपहर 3:15 बजे यह फिदायीन हमला किया। उसने एक गाड़ी में विस्फोटक भर रखे थे। जैसे ही सीआरपीएफ का काफिला लेथपोरा से गुजरा, आतंकी ने रॉन्ग साइड से आकर अपनी गाड़ी जवानों से भरी बस से टकरा दी। जिस बस को हमले के लिए निशाना बनाया गया, वह 76वीं बटालियन की थी और इसमें 39 जवान सवार थे। बताया जा रहा है कि आदिल ने एक गाड़ी में 100 किलोग्राम विस्फोट भर रखा था। पुलवामा के काकापोरा का रहने वाला आदिल 2018 में जैश में शामिल हुआ था।
हमले में शहीद हुए जवान
हमले में 40 जवान शहीद हो गए। शहीदों के नाम हैं भारतीय हेड कांस्टेबल (चालक) जयमल सिंह, हेड कांस्टेबल नसीर अहमद, कांस्टेबल सुखविंद्र सिंह, कांस्टेबल रोहताश लांबा, कांस्टेबल तिलक राज, कांस्टेबल भागीरथ सिंह, कांस्टेबल बिरेंद्र सिंह, हेड कांस्टेबल अवधेश कुमार यादव, कांस्टेबल नितिन सिंह राठौर, कांस्टेबल रतन कुमार ठाकुर, कांस्टेबल (चालक) सुरेंद्र यादव, हेड कांस्टेबल संजय कुमार सिंह, हेड कांस्टेबल रामवकील, कांस्टेबल धर्मचंद्रा, कांस्टेबल बेलकर ठाका, कांस्टेबल श्याम बाबू, कांस्टेबल अजीत कुमार आजाद, कांस्टेबल प्रदीप सिंह, हेड कांस्टेबल संजय राजपूत, कांस्टेबल कौशल कुमार रावत, कांस्टेबल जीत राम, कांस्टेबल अमित कुमार, कांस्टेबल ब्याय कुमार मौर्य, कांस्टेबल कुलविंद्र सिंह, हेड कांस्टेबल विजय शोरंग, कांस्टेबल वसंत कुमार वीवी, कांस्टेबल गुरू एच, कांस्टेबल शुभम अनिरंग जी, कांस्टेबल अमर कुमार, कांस्टेबल अजय कुमार, कांस्टेबल महिंद्र सिंह, कांस्टेबल रमेश कुमार, हेड कांस्टेबल प्रसन्ना कुमार शाऊ, हेड कांस्टेबल हेम राज मीणा, हेड कांस्टेबल बबला शांतरा, कांस्टेबल अश्रि्वनी कुमार कोचि, कांस्टेबल प्रदीप कुमार, कांस्टेबल सुधीर कुमार बंसल, कांस्टेबल रविंद्र सिंह, हेड कांस्टेबल एम बसुमात्रेय, कांस्टेबल महेश कुमार, हेड कांस्टेबल एनएल गुर्जर…Next
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