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लालटेन की लौ को कैसे बुझने से रोका जाए

कुछ दिन पहले राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू प्रसाद यादव के जेल जाने पर कहा था. ‘वे जब-जब जेल जाते हैं, पार्टी को फायदा ही होता है’. यह बात पार्टी में कई लोगों को अखरी तो मगर कोई उनसे कुछ बोलने की स्थिति में नहीं था. सबको पता था कि वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक है.


rabri devi 1रघुवंश प्रसाद सिंह की बात का समर्थन करते हुए लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी (Rabri Sevi) भी मानती हैं कि लालू के जेल जाने से पैदा हुई सहानुभूति उनके पक्ष में जाएगी और राजद का प्रदर्शन बेहतर होगा. इस तरह से देखा जाए तो पूरी पार्टी लालू यादव के जेल से उत्पन हुई सहानुभूति से फायदा उठाने के चक्कर है. लेकिन क्या उसमे वह कामयाब हो पाएगी.


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चारा घोटाले में दोषी पाए जाने के बाद जेल में बंद राजद प्रमुख लालू प्रसाद की लोकसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई है. चुनावी नियमों के अनुसार, लालू प्रसाद को 11 सालों (5 साल जेल और रिहाई के बाद के छह साल) के लिए अयोग्य ठहराया गया है. इस तरह से वह 2024 तक कोई चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं होंगे. उस वक्त लालू 75 की उम्र पार कर चुके होंगे.


अब सवाल उठता है कि केंद्र की राजनीति में बड़ी भूमिका निभा चुके लालू जैसे बड़े नेता की अनुपस्थिति में कौन लालटेन की लौ को बुझने से रोकेगा. चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की कमान उनकी पत्नी राबड़ी देवी (Rabri Sevi) को सौंपी गई थी. पिछले दिनों राबड़ी देवी (Rabri Sevi) की अध्यक्षता में पटना में हुई पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में यह फैसला किया गया था लेकिन राबड़ी देवी के हाथ में पार्टी की बागडोर सौंपने के लालू प्रसाद के फैसले पर बहुतेरे राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं. कि यह एक परिवारवाद से जुड़ा फैसला है. लालू प्रसाद कोई बाल ठाकरे नहीं हैं कि खुद चुनाव लड़े बिना, खुद सत्ता में आने की आकांक्षा रखे बिना पार्टी को किसी परछाई के जरिए चला लेने में सक्षम होंगे.


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1997 में जब लालू जेल गए थे, तब राबड़ी का प्रयोग इसलिए कर सकने में सक्षम हो सके थे क्योंकि उस समय उनकी तूती बोलती थी और उनकी पार्टी सत्ता में भी थी. लेकिन आज पार्टी उस स्थिति में नहीं है. पार्टी के पास विधानसभा 4 विधायक हैं तो केंद्र में 4 सांसद. 2009 से पहले जो स्थिति पार्टी की थी वह आज बिलकुल ही समाप्त हो चुकी है. भले ही आज नीतीश प्रशासन को लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं लेकिन लालू के जेल जाने के बाद आरजेडी भी उस स्थिति में नहीं है जिसमे वह आगामी लोकसभा और 2015 में होने वाले विधानसभा चुनाव में जेदयू को पटकनी दे सके.


यह बात शायद पार्टी समझ चुकी है इसलिए बीते मंगलवार को राबड़ी देवी एलजेपी के अध्यक्ष रामविलास पासवान के साथ मिलकर कांग्रेस सहित सेक्युलर दलों के गठबंधन पर विचार कर रही है ताकि सरकार में आने की गुंजाइस बची रहे.


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