रेलवे कर्मचारियों की यूनियन ने 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू नहीं किए जाने और निजीकरण के प्रयासों के खिलाफ आज से देशभर में 72 घंटों की क्रमिक भूख हड़ताल शुरू कर दी है। रेलवे की एम्पलॉई यूनियन की इस हड़ताल से कई तरह की सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। वहीं, पहले स ही ट्रेनें घंटों लेट चल रह है ऐसे में यूनियन की हड़ताल रेलवे के लिए एक नया सिरर्दद साबित हो सकती है।
11 मई तक चलेगा अनशन
आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) ने एक बयान में कहा कि उनकी केंद्र सरकार के संगठनों, गृह मंत्री, वित्त मंत्री, रेलवे मंत्री और रेल राज्य मंत्री के साथ कई बैठकें हुईं। लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ. अनशन 11 मई तक लगातार 72 घंटे चलेगा। इससे रेलवे सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं, साथ ही ट्रेनों की आवाजाही पर भी असर पड़ सकता है।
इन मांगों को लेकर किया जा रहा है अनशन
केंद्र सरकार के कर्मचारियों की मांगों पर विचार करने के संबंध में सरकार से कई बार अनुरोध किए गए। लेकिन अभी तक कोई सार्थक नतीजा नहीं निकला, जबकि करीब दो साल बीत चुके हैं। बयान के अनुसार कर्मचारियों की मांगों में सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद विसंगतियों को दूर किया जाना, एनपीएस के दायरे में आने वाले सभी कर्मचारियों के लिए पेंशन की गारंटी और पारिवारिक पेंशन का प्रावधान, निजीकरण के प्रयास को समाप्त करना आदि शामिल हैं एआईआरएफ ने 13 और 14 मार्च, 2018 को हुई अपनी बैठकों में देश भर में फैडरेशन से जुड़ी यूनियनों की शाखाओं में तीन दिनों तक 24 घंटे की क्रमिक भूख हड़ताल करने का फैसला किया था।
पहले से ही लेट चल रही है ट्रेनें
देश के यातायात की लाइफलाइन माने जाने वाली ट्रेनों का घंटों लेट से चलना लगातार जारी है। इसकी वजह से यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है।देरी की एक वजह पटरियों की मरम्मत का काम है, जो रेलवे के लिए खासा सिरदर्द साबित हो रहा है। रेलवे मंत्रालय ने अपने जोनल यूनिटों से कहा है कि उसे देरी से ट्रेन चलने की वजह से काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है।
नई पटरियां लग रही हैं
बता दें कि अमृतसर-दिल्ली रूट पर भी नई पटरियां लग रही हैं। इसके अलावा, कुछ निर्माण कार्य भी चल रहा है। इसकी वजह से दिल्ली को जाने वाली या राष्ट्रीय राजधानी से चलने वालीं कम से कम 10 लंबी दूरी की ट्रेनें सोमवार को लेट रही। अलग-अलग स्टेशनों पर इंतजार कर रहे यात्रियों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल से आने वाली ट्रेनों पर सबसे बुरा असर पड़ा है। ये आठ से 16 घंटे देरी से पहुंचीं। अधिकारी के मुताबिक, ट्रेनों की देरी की एक अन्य वजह कई समर स्पेशल ट्रेनों का चलना भी है। इसकी वजह से रेलवे रूटों पर काफी दबाव है। बता दें कि अलग अलग रेलवे जोन्स में इंजीनियरिंग का काम जारी होने की वजह से ट्रेनें खासी लेट हो रही हैं। दक्षिणी रेलवे भी इससे अछूता नहीं है। चेन्नई डिविजन में नया सिग्नल सिस्टम लग रहा है।
यात्रियों को होगी परेशानी
ऐसे में अगर रेलवे कर्मचारियों के यूनियन भी हड़ताल कर रहे हैं तो सरकार और प्रशासन को दोगुना नुकसान होना तय है। साथ ही आने जाने वाले यात्रियों को भी कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। ऐसे में अगर आप यात्रा करने की सोच रहे हैं तो इस दौराना यात्रा करने से बचें।…Next
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