भारतीय रेलवे के शौचालयों के साथ यह काफी पुरानी समस्या रही है कि कुंडियों के खराब होने के कारण दरवाजा ठीक से बंद करने के बावजूद कुंडी खुल जाया करती है. कई बार मुसाफिरों को इसके चलते बेहद शर्मिंदगी वाली स्थिति का सामना करना पड़ता है. ज्यादातर मुसाफिर ऐसे हादसों को नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन गुरुदर्शन लांबा ने इस अपमान को नजरअंदाज नहीं किया. उनकी शिकायत पर उपभोक्ता अदालत ने रेलवे को उन्हें 1.5 लाख जुर्माना चुकाने का फैसला सुनाया.
गुरुदर्शन लांबा दिल्ली से दुर्ग(छत्तीसगढ़) की यात्रा भारतीय रेल के एसी 1 कोच में कर रहे थे. टॉयलट का प्रयोग करते समय किसी ने बाहर से दरवाजा खोलने की कोशिश की और वह खुल गया. लांबा इस अपमान को पचा नहीं पाए और उन्होंने रेलवे के खिलाफ कंज्यूमर कोर्ट में इसकी शिकायत दर्ज कराई.
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लांबा का दावा था कि उन्होंने दरवाजे को ठीक से बंद किया था बावजूद इसके वह खुल गया. लांबा और उनके वकील ने इस अपमान के एवज में रेलवे के संबंधित विभाग से इसके लिए हर्जाने की मांग की. लांबा के इस दावे पर रेलवे अधिकारियों ने दलील दी की कोच में और भी टॉयलेट थे, वे दूसरे टॉयलट का भी प्रयोग कर सकते थे. लेकिन कोर्ट ने रेलवे अधिकारियों के इन दलीलों को खारिज कर दिया.
उपभोक्ता अदालत के जज ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि एसी कोच में सफर करने के एवज में रेलवे किराए के रूप में मोटी रकम वसूल करती है बजाए इसके यात्री को इस तरह की असुविधा का समना करना पड़ा. यह रेलवे की भारी लापरवाही है.
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कोर्ट ने आदेश दिया कि रेलवे लांबा को 1.5 लाख का जुर्माना दे, साथ ही याचिका के खर्च के तौर पर 10,000 रुपए अतरिक्त दे. Next…
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