मराठा क्षत्रप बाल ठाकरे का जब निधन हुआ था तो पूरा राज्य शोक की लहर में डूब गया था. आम से लेकर खास तक हर कोई इस शिवसेना के सेनापति को याद करके अपनी संवेदना प्रकट कर रहा था. उन्हीं खास लोगों में फिल्म स्टार नाना पाटेकर (Nana Patekar Profile in Hindi) भी शामिल हैं जिन्होंने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे से मिलकर साथ में काम करने का अनुरोध किया है.
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62 साल के इस दमदार अभिनेता ने रजत शर्मा के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘आप की आदालत’ में यह इच्छा जाहिर की कि शिवसेना को बाल ठाकरे के पदचिन्हों पर चलना है तो इन दोनों राजनेताओं को मिलकर काम करना होगा. आपको बताते चलें कि दिवंगत नेता बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने वर्ष 2006 में शिवसेना से नाता तोड़ दिया था जिसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया.
वैसे नाना पाटेकर ने जिस तरह की इच्छा जाहिर की है यह कोई नई बात नहीं है. शिवसेना के अधिकतर प्रशंसक और बाल ठाकरे को नजदीकी से जानने वाले भी यही चाहते हैं कि शिवसेना के कार्यकर्ताओं में यदि जोश भरना है तो इन दोनों नेताओं को मिलकर काम करना होगा. अब सवाल यह उठता है कि क्या शिवसेना के कार्यकताओं को उद्धव ठाकरे पर विश्वास नहीं है या फिर वह समझ चुके हैं कि जिस तरह की सोच बाल ठाकरे के सुपुत्र उद्धव ठाकरे की है उससे चुनाव में हार होना तय है.
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ऐसे सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योकि जिस तरह से बाल ठाकरे ने पिछले चार दशक से शिवसेना की कमान ऐसे सेनापति होकर चलाया जो केवल आदेश देता था और शिवसैनिक उसका किसी भी हद तक जाकर पालन करते. उनकी कही गई एक-एक बात पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए संविधान की लकीर होती थी. अब जबकि बाल ठाकरे नहीं हैं तो शिवसेना के भविष्य को लेकर हर किसी को चिंता है क्योंकि पार्टी में कोई ऐसा नेता नहीं है जो बाल ठाकरे के कद के इर्द-गिर्द भी पहुंच सकता हो या उन्हें टक्कर देता हो.
जानकारों की मानें तो उद्धव ठाकरे भले ही बाल ठाकरे के सुपुत्र हों लेकिन राजनीति में इतने समय बिताने के बाद भी वह आज तक मराठी मानुष के दिलों में जगह नहीं बना पाए हैं. ऐसे में शिव सेना के अधिकतर नेताओं और प्रशंसकों की नजर उस नेता की ओर जाती है जिनका व्यक्तित्व, व्यवहार और हाव-भाव में अपने चाचा बाल ठाकरे की तरह है. राज ठाकरे ही ऐसे नेता हैं जो अपने तेजतर्रार भाषणों से मराठी मानुष को आकर्षित करते हैं और वह ही शिवसेना तथा ठाकरे परिवार की विरासत को आगे बढ़ा सकते हैं.
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