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आज के दिन राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह को दी गई थी फांसी, कठघरे में खड़े होकर गुनगुनाया था शेर

‘शहीदों की चिताओं पर हर बरस लगेंगे मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा’
देश की आजादी के लिए अनगिनत क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया है, जिनका आभार व्यक्त करने के लिए कोई भी शब्द काफी नहीं हो सकता लेकिन उनकी कुर्बानियों को हमेशा याद रखकर हम कड़ी मेहनत से हासिल की गई आजादी का सम्मान जरूर कर सकते हैं। आज के इस दिन को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत को आजादी दिलाने के लिए राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां और रोशन सिंह ने अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया था। आजादी के इन मतवालों को काकोरी कांड को अंजाम देने के लिए सूली पर चढ़ाया गया था।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal19 Dec, 2018

 

 

क्या है काकोरी कांड
9 अगस्त 1925 की रात चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह सहित कई क्रांतिकारियों ने लखनऊ से कुछ दूरी पर काकोरी और आलमनगर के बीच ट्रेन में ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को लूट लिया था। इस घटना को इतिहास में काकोरी कांड के नाम से जाना जाता है। इस घटना ने देश भर के लोगों का ध्या न खींचा। खजाना लूटने के बाद चंद्रशेखर आजाद पुलिस के चंगुल से बच निकले, लेकिन राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई। बाकी के क्रांतिकारियों को 4 साल की कैद और कुछ को काला पानी की सजा दी गई।

 

क्रांतिकारियों को मिली फांसी और कालापानी की सजा
इस हमले के आरोपियों में से बिस्मिल, ठाकुर, रोशन सिंह, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी और अशफाकुल्ला खान को फांसी की सजा हो गई और सचिंद्र सान्याल और सचिंद्र बख्शी को कालापानी की सजा दी गई। राम प्रसाद बिस्मिल उन्होंने काकोरी कांड में मुख्य भूमिका निभाई थी। वे एक अच्छे शायर और गीतकार के रूप में भी जाने जाते थे। इसके अलावा भी अशफाक उल्ला खां उर्दू भाषा के बेहतरीन शायर थे। अशफाक उल्ला खां और पंडित रामप्रसाद बिस्मिल गहरे मित्र थे।

 

 

कठघरे में खड़े होकर गुनगुनाई थी शायरी
काकोरी कांड में गिरफ्तार होने के बाद अदालत में सुनवाई के दौरान क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल ने ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाजु-ए-कातिल में है?’ की कुछ पंक्तियां कही थीं। बिस्मिल कविताओं और शायरी लिखने के काफी शौकीन थे। फांसी के फंदे को गले में डालने से पहले भी बिस्मिल ने ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’ के कुछ शेर पढ़े। वैसे तो ये शेर पटना के अजीमाबाद के मशहूर शायर बिस्मिल अजीमाबादी की रचना थी लेकिन इसकी पहचान राम प्रसाद बिस्मिल को लेकर ज्यादा बन गई…next 

 

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