जेल जाने से पहले गुरमीत राम रहीम सिंह की चर्चाएं जितनी होती थी, उससे कहीं ज्यादा सुर्खियों में वो जेल जाने के बाद है। गुरमीत सिंह के एक से बढ़कर एक करनामे सामने आ रहे हैं। इन दिनों एक नई जानकारी सामने आई है कि बाबा अपने अनुयायियों से खेतों में मजदूरी कराता था। इसके बाद उन्हीं खेतों में पैदा होने वाली सब्जियों को प्रसाद के नाम पर अनापशनाप दामों में अनुयायियों को बेचता था। अंधभक्त भी बाबा का प्रसाद मानकर बड़े चाव से 1000 रुपये में एक मिर्ची और 5000 रुपये में एक पपीता खरीदकर खुद को धन्य मानते थे। आइये जानते हैं गुरमीत सिंह के इस कारनामे के बारे में।
निराई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरमीत सिंह के डेरे के अंतर्गत करीब 700 एकड़ जमीन है, जिसमें काम कराने के लिए उसे कभी मजदूरों को नहीं ढूंढना पड़ा। उसके अंधभक्त मुफ्त में डेरे के खेतों में सेवा करते थे। इस सेवा के नाम पर 100 एकड़ जमीन की निराई एक दिन में हो जाती थी। इसके बाद इन्हीं खेतों में होने वाली सब्जियों को गुरमीत सिंह अपने भक्तों को सोने के भाव से बेचा करता था। बाबा के हाथ की उगी सब्जी बताकर डेरे के कर्मचारी अनुयायियों को उसे हजारों के दाम में बेचते थे। इससे गुरमीत सिंह लाखों रुपये बनाता था।
अंधभक्ति में खरीदते थे सब्जी
राम रहीम के भक्त अंधविश्वास में इन सब्जियों को खरीदते थे। अंधभक्ति ऐसी थी कि बाबा के बाग की सब्जी का स्वाद हर कोई चखना चाहता था। परिवार के एक सदस्य को भी हजारों रुपये में मटर का एक दाना मिलता, तो वो खुद को धन्य समझता। बताया जाता है कि लोगों को यह विश्वास था कि बाबा की सब्जी खाने के बाद संकटों से मुक्ति मिलेगी और वे हमेशा निरोग रहेंगे। जानकारी के मुताबिक, हफ्ते-पंद्रह दिन में एक बार डेरे की सब्जी को गुरमीत राम रहीम का एक आदमी सभी तक पहुंचाता था। वो उसका पैकेट बनाकर उसे डेरा भक्तों को बेचता था। सब्जी से इकट्ठा होने वाला पैसा डेरा मैनेजमेंट को भेजा जाता था।
लोगों तक सब्जियां पहुंचाने के लिए बनाई भंगीदास प्रथा
सूत्रों के मुताबिक, इन सब्जियों को गुरमीत सिंह के अनुयायियों के घर पहुंचाने की जिम्मेदारी भंगीदास की होती थी। भंगीदास डेरे के वे अनुयायी हैं, जो नाम चर्चा घर में मंच का संचालन करते हैं। ग्रामीण और शहरी नाम चर्चा घरों के भंगीदार अलग-अलग होते हैं। इन दोनों के ऊपर ब्लॉक का भंगीदास होता है। डेरा सच्चा सौदा को घर-घर से जोड़ने के लिए ही राम रहीम ने भंगीदास प्रथा बनाई थी।
कुछ ऐसी होती थी सब्जियों की रेट लिस्ट
– बैंगन 1000 रुपये और साइज बड़ा होने पर दाम बढ़ जाते थे।
– 5000 रुपये का एक पपीता।
– मटर के पांच दानों का पैकेट 1000 रुपये।
– एक हरी मिर्च 1000 रुपये।
– एक टमाटर 1000 रुपये।
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