पहले की अपेक्षा आज मीडिया और युवाओं में राजनीति एक दिलचस्पी का विषय बना हुआ है. पहले जहां युवाओं में राजनीति को लेकर एक अलग तरह की घृणा थी वहीं आज वह देश में किस तरह की राजनीति का भविष्य रहेगा, इस पर सोच-विचार कर रहा है. युवाओं में इस तरह की सोच कुछ ऐसे राजनेताओं की वजह से सामने आई है जिन्होंने परंपराओं को छोड़कर विकास की राजनीति को अपनाया है.
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दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कामर्स में युवाओं से रूबरू हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर उसी रंग में दिखे जिसकी बदौलत उन्होंने गुजरात की सत्ता हासिल की थी. मोदी ने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के कारण ही देश का बेड़ा गर्क हो रहा है. उन्होंने गुजरात के विकास मॉडल को प्रस्तुत करते हुए विकास से जुड़ी राजनीति की बात कही. मोदी ने अपने पूरे भाषण में अपने कॉंसेप्ट को बेचने की कोशिश की. ऐसा लग रहा था कि वह छात्रों को समझाना चाह रहे थे कि उनके अंदर बदलाव आया है और वह कट्टर संप्रदाय की बजाय देश के भविष्य के बारे में ज्यादा सोच रहे हैं.
वैसे देश में पहले से ही मोदी को लेकर युवाओं में एक अलग तरह की आवाज उठ रही है. उनकी प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर मीडिया से लेकर तमाम राजनीतिज्ञों के बीच हो रही बहस ने इस आवाज को और ज्यादा तेज कर दिया है. मीडिया और अन्य दूसरे वर्गों में इतनी उत्सुकता हाल के सालों में शायद ही किसी राजनेता के लिए उठी हो.
इन कारणों से मोदी के प्रति लोगों के बीच उत्सुकता जगी
राजनैतिक ब्रांड हैं मोदी
भारतीय जनता पार्टी की तरफ से नरेंद्र मोदी एक ब्रांड के रूप में जाने जाते हैं. देश के किसी भी राज्य में चुनाव हो मोदी की लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें प्रचार के लिए उस राज्य में तैनात किया जाता है. हाल ही में उन्होंने हिमाचल प्रदेश के विधान सभा चुनाव में कई रैलियां की थीं. मोदी चुनाव प्रचार में लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहते हैं. ऐसे समय में मीडिया भी उन्हें खास तौर पर कवरेज देती है. उनके द्वारा कही गई एक-एक बात चाहे वह किसी को हजम हो या न हो राष्ट्रीय मीडिया अपने चैनलों पर चर्चा के रूप में शामिल करती है.
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विकासपुरुष
हाल के वर्षों में भारत में विकास पुरुष का दर्जा अगर किसी राजनेता को मिला है तो वह हैं नरेंद्र मोदी. लोगों का मूड भांपते हुए पिछले कुछ वर्षों के दौरान मोदी इसी हथियार के आधार पर राजनीति कर रहे हैं. आज भाजपा का चुनाव प्रचार मोदी पर केंद्रित रहता है. उनके राज्य के विकास को आधार मानकर भाजपा नेता लोगों से वोट मांगते हैं. यह बात अलग है कि मानव विकास के तकरीबन सभी मोर्चों पर गुजरात की हालत बुरी है.
भाजपा कार्यकर्ताओं की मांग
देश के प्रमुख विपक्षी दल भाजपा का एक बड़ा वर्ग भी उन्हें प्रधानमंत्री के संभावित और सशक्त उम्मीदवार के तौर पर देखता है. भाजपा के कार्यकर्ता किसी ऐसे नेता के अंतर्गत काम नहीं करना चाहते जिस पर पहले से भ्रष्टाचार के आरोप हैं. उन्हें तो ऐसा नेता चाहिए जिसके पास देश के भविष्य को लेकर कोई सोच हो.
स्थानीय मुद्दे से ज्यादा केंद्र पर हमला
जब नरेंद्र मोदी अपने मंच पर होते हैं तो उनके सामने स्थानीय मुद्दा तो होता ही है लेकिन वह अपने भाषण में केन्द्रीय सरकार (यूपीए सरकार) को चपेट में लेना भी नहीं भूलते. ऐसा बहुत ही कम हुआ है जब नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार कर रहे हों और केंद्र के बड़े खिलाड़ियों को ललकारा न हो. वह अपने भाषण में राहुल गांधी, मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी का नाम जरूर लेते हैं. मोदी की यह अदा लोगों को काफी पसंद आती है.
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निवेशकों को आकर्षित करने वाले नेता
हाल के दिनों में मोदी का अहम हथियार रहा है साल में दो बार होने वाली उनकी वाइब्रेंट गुजरात मीट. एक बड़ा कॉरपोरेट जगत मानता है कि मोदी उनके लिए अच्छे हैं. राज्य में उनकी योजना निवेशकों को प्रभावित करती है.
मोदी के भाषण का एक अलग आकर्षण
जानकारों का मानना है कि चुनावी या फिर किसी अन्य तरह की रैली में जब मोदी मंच पर होते हैं तो वह अपने द्वारा कही गई एक-एक बात को ध्यान में रखते हैं. जो वह बोलना चाहते हैं वह वही बोलते हैं उससे न तो अधिक बोलते हैं और न ही कम. राजनीतिक गलियारों में होने वाली चर्चाओं पर यकीन करें तो मोदी भाषण से पहले अभ्यास करते हैं. उन्होंने पेशेवर लोगों की एक टीम बनाई है जो उनके भाषणों पर निगाह रखती है.
मार्केटिंग का माहिर नेता
जिस तरह से मोदी ने विकास के प्रतीक पुरुष के तौर पर खुद की छवि गढ़ी है उसका एक अहम पहलू यह भी है कि वे तमाशे में माहिर हैं. उनकी सरकार जो भी करती है उसकी बड़े स्तर पर मार्केटिंग की जाती है और उसे मोदी के साथ जोड़ दिया जाता है.
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