जब कभी हम टीवी पर रिपोर्टर्स को न्यूज देते और न्यूज कवर देते हुए देखते हैं तो कई बार मन में यह उमंग उमड़ती है कि काश हम भी इस रिपोर्टिंग के काम में होते. रिपोर्टरों के काम करने का तरीका, उनका स्टाइल, उनका टशन कई बार युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करता है. लेकिन जिस व्यवसाय को लोग ड्रीम जॉब मानते हैं वास्तव में वह दुनिया के सबसे खराब नौकरियों में से एक गिनी जाती है. लेकिन क्या वाकई रिपोर्टिंग और पत्रकारिता दुनिया के सबसे खराब व्यवसायों में से एक है?
यह थी खबर
दुनियाभर की खबरों को लोगों तक पहुंचाने के लिए रिपोर्टरों को न जाने कितनी जद्दोजहद करनी पड़ती है. मगर अमेरिका की एक संस्था ने रिपोर्टर की नौकरी को दुनिया के दस सबसे खराब प्रोफेशन में शामिल किया है. उसके बाद कसाई, वेटर, बर्तन धोने वाले का काम आता है.
अमेरिका स्थित कंसलटेंसी कॅरियर कास्ट द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के व्यवसाय को वर्ष 2012 के लिए सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. जबकि रिपोर्टर की नौकरी को सबसे खराब व्यवसाय की सूची में पांचवें स्थान पर रखा गया है.
अमेरिका के ब्यूरो ऑफ लेबर और अन्य सरकारी एजेंसियों के आंकड़ों के आधार पर इस सर्वेक्षण में अमेरिका की सभी प्रकार की नौकरियों को रखा गया था. लोगों ने लकड़हारा, पशु पालक, सैनिक और तेल की खुदाई में लगे मजदूर के बाद पत्रकार के काम को सबसे खराब बताया है. सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘भले ही रिपोर्टर की नौकरी कितनी ही आकर्षक क्यों न लगती हो, लेकिन काम के दबाव, आय का स्तर और नौकरी के घटते अवसरों को देखते हुए इसे सबसे खराब और सबसे असहज कामों की सूची में डाला गया है’.
आखिर क्या हो गया पत्रकारिता को
एक समय था जब लोग पत्रकारिता को दुनिया का सबसे बेहतरीन व्यवसाय मानते थे. लोग इस व्यवसाय में पैसा कमाने के लिए नहीं बल्कि एक मिशन के तहत आते थे. सच को आइने की तरह साफ रखना और कलम की ताकत को दुनिया को दिखाने के लिए लोग अपनी जान तक देने से पीछे नहीं हटते थे. लेकिन इसके बाद समाज बदला, कलम की लगह कंम्प्यूटर आ गया और देखते ही देखते कलम की ताकत पैसों के इशारे पर नाचने लगी.
आज पत्रकारिता का हाल यह है कि फलां पार्टी दो-चार लाख दे दे तो कोई समाचार पत्र या टीवी न्यूज चैनल विरोधी पार्टी के खिलाफ न्यूज दे दे और लिख दे. पैसे देकर नेताओं, सिलेब्रेटिज के इंटरव्यू होते हैं जिनमें सिर्फ वही सवाल पूछे जाते हैं जो उन बड़े नेताओं को सही लगें. जनता को वही सच दिखाया जाता है जो न्यूज चैनल या मीडिया संस्था चाहे. ले-देकर कुछेक अच्छे पत्रकार हैं तो वह भी मुंह बंद रखने में ही अपनी समझदारी समझते हैं वरना उन लोगों का मुंह भी जल्दी ही बंद हो जाता है.
पैसा, पावर और पॉलीटिक्स की दलदल में पत्रकारिता कहीं खो सी गई है. आज वह जूनुन खत्म हो गया है जहां लोग इस व्यवसाय को देशभक्ति का एक रास्ता मानते थे. आज तो यह पैसा कमाने का जरिया है. टीवी न्यूज चैनलों में विज्ञापन, स्टिंग ऑपरेशन के द्वारा ब्लैक मेलिंग, इंटरव्यू के द्वारा पैसा जमा किया जाता है तो समाचार पत्र भी कम नहीं हैं. आज बाजार में ऐसे कई समाचार पत्र हैं जो समाचार पत्र कम विज्ञापन पत्र ज्यादा दिखते हैं. न्यूज बेशक जरा सी हो लेकिन विज्ञापन के लिए पूरा पन्ना भी कम पड़ जाता है,
अब युवा पीढ़ी पत्रकारिता क्षेत्र में कोई मिशन के तहत नहीं प्रवेश करती है बल्कि डिग्री-डिप्लोमा करने के बाद अच्छा वेतन, पैकेज की ख्वाहिशमंद रहती है. मोटी ‘पगार’ के बदले में वह वही करती है जो ‘मालिक’ का निर्देश होता है. यह बदलते जमाने की तासीर है.
शीर्ष पांच तनावपूर्ण नौकरियां
1. सैनिक
2. अग्निशमन कर्मचारी
3. पायलट
4. सैन्य प्रमुख
5. पुलिस अधिकारी
चार सबसे बेहतर नौकरियां
1. सॉफ्टवेयर इंजीनियर
2. मानव संसाधन प्रबंधक (एच आर)
3. दंत चिकित्सक
4. वित्तीय योजनाकार
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