पहले लोग कहते थे कि दंगा, आगजनी और ऐसी हिंसक घटनाएं सिर्फ वही लोग करते हैं जो कम शिक्षित या अधिक सभ्य नहीं होते पर लंदन में पिछले तीन दिनों से जारी दंगों ने साबित कर दिया है कि अगर जनता की सहनशक्ति का हद से ज्यादा फायदा उठाया जाए तो गाय सी दिखने वाली जनता कब सांड बन जाए कहा नहीं जा सकता.
भारत में हर दूसरे तीसरे महीने आपको किसी ना किसी व्यक्ति की पुलिस या प्रशासन की पिटाई से मौत की खबर सुनने को मिल ही जाती है. गरीबों को पकड़कर यहां पुलिस अपना “कोटा” पूरा करती है. यह कोई नई बात भी नहीं है. और इसके बदले कभी-कभार जनता थोड़ा हो-हल्ला कर लेती है. पर लंदन में चार बच्चों के पिता 29 वर्षीय मार्क डग्गन (Mark Duggan) की पुलिस फायरिंग में हुई मौत पर इतना बवाल मचा कि दुनिया की सबसे सभ्य और शिक्षित माने जाने वाली नगरी दंगों की चपेट में आ गया है.
लंदन में विशेष चेकिंग के दौरान पुलिस ने मिनी कैब से जा रहे चार बच्चों के पिता 29 वर्षीय मार्क डग्गन को रोकने की कोशिश की. जवाब में डग्गन ने पुलिस पर फायरिंग की जिसके बाद पुलिस ने गोली चलाई और उसकी मौत हो गई. शनिवार को टौटेनहम हाई रोड पर पुलिस थाने के बाहर करीब 300 लोग एकत्रित हुए और मार्क डग्गन के लिए न्याय की गुहार लगाई. साथ ही इन लोगों ने उन माफिया गिरोहों को पकड़ने पर भी जोर दिया जिसकी वजह से मार्क डग्गन की हत्या की गई. यह प्रदर्शन पहले शांतिपूर्ण था, लेकिन प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस वाहनों को पेट्रोल बमों के जरिए आग लगाने के बाद इसने हिंसक रूप ले लिया. इसमें आठ पुलिसकर्मी घायल हो गए. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
हिंसा का स्तर इतना अधिक था कि लंदन के कई हिस्सों से आगजनी के बाद धुएं का गुबार उठता दिखाई दिया. लीवरपुल, बर्मिंघम और ब्रिस्टल में नकाबपोश दंगाइयों ने सड़कों पर तोड़फाड़ की और गाड़ियों तथा घरों में आग लगा दी गई.
दंगों की स्थिति को देखते हुए गृह मंत्री थेरेसा मे ने अपनी छुट्टियां रद्द कर दी है और वह लंदन लौट आई है. लंदन के मेयर बोरिस जॉनसन भी छुट्टियों से बीच में ही लंदन लौट रहे है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने लंदन में दंगों के मद्देनजर अपनी छुट्टियां बीच में ही रद्द कर दी है. वह दंगों से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों में सहयोग के लिए लंदन लौट रहे है. तीन दिन से जारी इस हिंसा में करीब 200 दंगाइयों को गिरफ्तार किया गया है और करीब 30 लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए है. झड़पों में करीब 35 पुलिस अधिकारी घायल हुए है.
इस दंगे को पहले ही ब्रिटेन की 21वीं सदी का दंगा करार दिया जा चुका है. इस दंगे में 10 से 14 साल के बच्चों के शामिल होने की बात इस बात की पुष्टि करती है कि वहां की जनता सिर्फ न्याय चाहती है. फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल नेटवर्किंग साइटों के प्रयोग ने इस दंगे को पूरे लंदन में फैला दिया है.
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