इन दिनों देश में दो लोग जबरदस्त सुर्खियों में हैं, पहला नीरव मोदी और दूसरा विक्रम कोठारी। इन दोनों पर बैंक से धोखाधड़ी करके हजारों करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप है। नीरव मोदी देश से बाहर है, जबकि रोटोमेक ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल को हिरासत में लेकर सीबीआई के साथ ईडी की टीमें दिल्ली ला रही हैं। बैंकों के कंसोर्टियम से 3695 करोड रुपये का लोन लेने वाले विक्रम कोठारी व राहुल कोठारी को सीबीआई और ईडी के संयुक्त जांच दल ने काफी पड़ताल के बाद हिरासत में लिया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आज हजारों करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपी विक्रम कोठारी के परिवार की स्थिति कभी ऐसी थी कि उनके पिता साइकिल पर पान मसाला बेचते थे। आइये आपको बताते हैं साइकिल पर पान मसाला बेचने से लेकर करोड़पति बनने तक कैसे चला इस परिवार का सफर।
साइकिल पर पान मसाला बेचने से पान पराग ब्रांड तक पहुंचे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विक्रम कोठारी के पिता मनसुख कोठारी 50 के दशक में कानपुर में साइकिल पर पान मसाला बेचते थे। 60 के दशक में पारले प्रोडक्ट्स का कानपुर क्षेत्र का डिस्ट्रिब्यूशन लेने के बाद कोठारी परिवार मजबूत होने लगा। इस बीच कानपुर में पान मसाले के पहले ब्रैंड ‘बादशाह पसंद’ के बंद होने के बाद ‘पान बहार’ को टक्कर देने के लिए इस परिवार ने मार्केट में ‘पान पराग’ उतारा। 70 के दशक की शुरुआत में 5 रुपये के 100 ग्राम के पान मसाले के डिब्बे ने देश-विदेश में ऐसी पहचान पाई कि पान मसाले का दूसरा नाम ही ‘पान पराग’ हो गया। धीरे-धीरे यह खाड़ी देशों, अमेरिका और यूरोप तक पहुंचा।
कारोबार चरम पर पहुंचा और हो गया बंटवारा
लगातार बढ़ते कारोबार ने ग्रुप को बुलंदियों तक पहुंचा दिया। इस बीच पान मसाले के अलावा ‘रोटोमैक पेन’ और ‘यस मिनरल वॉटर’ लॉन्च किए गए। इन उत्पादों ने कई स्थापित ब्रैंड्स की हालत पतली कर दी। व्यापार चरम पर पहुंचने के साथ ही कोठारी परिवार में खटपट शुरू हुई। साल 2000 के आसपास समूह में बंटवारा हुआ। खबरों की मानें, तो मनसुख अपने दूसरे बेटे दीपक के साथ एक तरफ थे और विक्रम दूसरी तरफ। बताया जाता है कि विक्रम को ग्रुप से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए 1,250 करोड़ रुपये की डील हुई थी, जिसमें 750 करोड़ रुपये विक्रम को कैश दिए गए थे।
रोटोमैक के विस्तार और मजबूती पर नहीं दिया ध्यान
परिवार से अलग होकर विक्रम कोठारी ने रोटोमैक के विस्तार और मजबूती पर ध्यान नहीं दिया। यस ब्रैंड से नमकीन की बड़ी रेंज के अलावा ‘दम’ पान मसाला और ‘ब्रेन कंप्यूटर्स’ भी बाजार में उतारा गया, लेकिन सब कुछ औंधे मुंह गिर गया। इस बीच उन्होंने दोस्तों की सलाह पर स्टॉक मार्केट के अलावा रियल एस्टेट में भारी-भरकम निवेश किया। कानपुर के कुछ शॉपिंग मॉल्स में विक्रम की हिस्सेदारी बताई जाती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कहा यह भी जाता है कि तीन साल पहले विनसम डायमंड केस में मिली डायरी में विक्रम का नाम आया था। इस मामले में वे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निशाने पर आए थे। पार्टियों के शौकीन विक्रम पिछले 2-3 साल से एलीट सर्कल से भी दूर रहे हैं। वहीं, विक्रम के भाई दीपक अब भी कारोबार कर रहे हैं…Next
Read More:
कनाडा के पीएम का नहीं हुआ अपमान, ट्रूडो से मोदी के न मिलने की ये है वजह!
नागालैंड के चुनाव में रईसों का दबदबा, इतने उम्मीदवार हैं करोड़पति
शाहरुख की रिजेक्ट की हुई इन 7 फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर जमकर मचाया धमाल
Read Comments