यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि उस तीन साल की लड़की की चमत्कारिक जिजीविषा थी कि वह 12 दिनों तक मौत से लड़ती रही और आखिरकार उसे जीत मिली. साईबेरिया की हाड़ कंपा देने वाली सर्दी, दूर-दूर तक जंगल, इंसान का कहीं कोई नामोनिशान नहीं. अगर उसके आसपास कुछ थे तो वे थे जंगली भालू और भेड़िए जैसे खतरनाक जानवर. ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में बड़े-बड़े हिम्मत हार जाते, पर यह इस मासूम ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए मौत से बाजी मार ली.
रूस की इस ‘मोगली बच्ची’ का नाम करीना चिकितोवा है जिसे पिछले महीने ही साईबेरिया के घने जंगलों सो बचाया जा सका. 5 हफ्तों तक चिकित्सीय देखरेख में रहने के बाद डॉक्टरों ने इस बच्ची को पूरी तरह स्वस्थ घोषित किया है. करीना आखिरकार अपने पालतू कुत्ता नाईड़ा से मिलने अपने घर जा सकेगी जो सखा रिपब्लिक के एक सुदूर गांव में स्थित है.
इस मासूम की मौत के साथ उसके संघर्ष में नाईडा ने बहुत सहयोग दिया. नाईडा रात को करीना के साथ रहता ताकि उसे गर्माहट मिल सके. एक हफ्ते बाद वह किसी को मदद के लिए बुलाने के लिए वापस गांव गया, भूखा और थका हारा.
जुलाई महीने के अंतिम दिनों में करीना अपने पिता के पीछे-पीछे जंगलों में चली गई. करीना के पिता को जानकारी नहीं थी की करीना उनके पीछे आ रही है. अपने गांव से कुछ दूर जाने के बाद ही करीना जंगलों में रास्ता भटक गई.
करीना की दादी जो उसकी देखभाल करती थी उन्हें यह लगा की करीना अपने पिता के साथ एक दूसरे दूर-दराज गांव में रहने के लिए गई है जहां फोन की कनेक्टिविटी नहीं है. कई दिनों बाद करीना के मां को यह मालूम चला की वह खो गई है.
इस बच्ची को खोजने के लिए रूस के सखा रिपब्लिक क्षेत्र में एक व्यापक खोज अभियान चलाया गया. सखा रिपब्लिक रूस का सबसे बड़ा क्षेत्र है और इसका क्षेत्रफल भारत से थोड़ा ही छोटा है.
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जब उसे खोजा गया उस समय वह घांस से ढ़के एक छेद में सो रही थी. उसके चेहरे पर हर जगह मच्छरों के काटने के निशान थे और वह बेहद कमजोर हो गई थी.
इन 12 दिनों में उसने नदियों का पानी पिया और जंगली फल खाए, फिर भी वह बूरी तरह कुपोषित हो गई थी. चिकित्सा कर्मियों ने फिर से सामान्य वजन प्राप्त करने में करीना की मदद की और यह सुनिश्चित किया कि जंगल में रहने के दौरान उसे किसी बीमारी ने न पकड़ लिया हो.
बचाव कर्मियों ने बताया कि करीना का पालतू कुत्ता नाईडा से करीना की गुमशुदगी की खबर मिली, पर करीना के पास फिर से पहुंचने में नाईडा बहुत मददगार नहीं साबित हुआ. हमारे पास ऐसे कुत्ते भी नहीं थे जो सूंघकर इंसानों का पता लगा सके.
बचाव करने वाले लोगों को सफलता तब मिली जब उन्होंने करीना के पांवों के निशान नदी किनारे खोज निकाले. यह निशान तब पड़े होंगे जब करीना वहां पानी पीने गई होगी. उसके पांव के निशान के बगल में जब बचावकर्ता ने कुत्ते के पंजों के निशान भी देखे तो उन्हें यह यकीन हो गया की वे सही इलाके में खोज-बीन कर रहें हैं. अगले दिन करीना को सुरक्षित खोज लिया गया.
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