आधुनिक राजनय संबंध मूलरूप से आर्थिक लाभ पर संकेंद्रित हो चुके हैं जिसकी वजह से तेज़ विकास कर रही अर्थव्यवस्थाओं का महत्त्व स्वयंसिद्ध है. भारत में इस बार सभी वीटो प्राप्त शक्तियों के राष्ट्राध्यक्षों का दौरा चालू है. इसी क्रम में इस बार रूसी राष्ट्रपति भी भारत के साथ अपने परंपरागत संबंधों की दुहाई देते हुए सरकारी यात्रा पर आए हैं. आर्थिक, राजनीति, सांस्कृतिक और रक्षा क्षेत्रों में मजबूत संबंध कायम करना दोनों देशों के हित में है और भारत की भी यही मंशा है कि रूस के साथ उसके पुराने संबंध पहले से भी बेहतर अवस्था में पहुंच जाएं. हालांकि इस दरमियान गत कुछ वर्षों से भारत ने पश्चिमी देशों से नजदीकियां बढ़ाई हैं जिससे रूस के साथ उसके संबंध गर्मजोशी वाले कम ही रह गए हैं फिर भी भारतीय और रूसी नेता यह जानते हैं कि ग्लोबलाइज़ेशन के युग में पुराने संबंधों को भुलाया नहीं जा सकता.
रूस के राष्ट्रपति दमित्रि मेदवेदेव की आज से शुरू हो रही तीन दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक मुद्दों, असैन्य परमाणु सहयोग, रक्षा, अंतरिक्ष, एवं निर्वाचन मुद्दों सहित 15 समझौते होने की संभावना है. अपनी यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति दमित्रि मेदवेदेव भारतीय राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और विदेश मंत्री एस.एम.कृष्णा से मुलाकात करेंगे. मंगलवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात के दौरान कई द्विपक्षीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है.
वरिष्ठ अधिकारियों और बड़े व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ आ रहे मेदवेदेव यहां वार्षिक शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे. गौरतलब है की 2009 में भारत और रूस के बीच व्यापार 7.5 अरब डॉलर पहुंच गाया था, जिसे अगले पांच वर्षों में बढ़ाकर 20 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है. इसके अलावा मेदवेदेव की यात्रा के दौरान पांचवी पीढी के टी.50 लडाकू विमान के डिजाइन को संयुक्त रुप से तैयार करने के एक समझौते पर भी हस्ताक्षर होने की उम्मीद है. इस यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति आगरा और मुम्बई भी जाएंगे.
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