दुनियांभर के करोड़ो क्रिकेट प्रेमियों के दिलों पर राज करने करने वाले भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर, जो अभी तक क्रिकेट के मैदान में ही चौकों-छक्कों की बरसात करते नजर आते थे, अब भारतीय सियासत में भी अपने हाथ आजमाने जा रहे हैं. अपने प्रशंसकों के बीच लिटिल मास्टर और मास्टर ब्लास्टर नाम से मशहूर सचिन रमेश तेंदुलकर अब राज्यसभा में सांसद की कुर्सी पर बैठने के लिए तैयार हैं. सरकार की ओर से सचिन तेंदुलकर को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया और भारत की राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने उनके नाम पर मुहर लगा दी. सूत्रों की मानें तो वह इसी सत्र में राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ भी लेने वाले हैं.
संविधान के अनुच्छेद 80 में यह प्रावधान है कि भारत का राष्ट्रपति अपनी निर्णय क्षमता और सूझबूझ से साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवाओं के क्षेत्र में विशेष ज्ञान अथवा व्यवहारिक अनुभव रखने वाले लोगों को राज्यसभा सांसद के तौर पर मनोनीत कर सकता है. क्रिकेट की बुलंदिया छू चुके और कई रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके लिटिल मास्टर अब सियासी दांवपेच खेलते नजर आएंगे.
किसी खेलते हुए खिलाड़ी को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने का यह पहला वाकया है. लेकिन एक सक्रिय खिलाड़ी, जिसने अभी तक क्रिकेट की दुनियां से संन्यास नहीं लिया है, उसे राज्यसभा पहुंचाकर कहीं सरकार अपना वोट बैंक दुरुस्त करने की तैयारी तो नहीं कर रही? कपिल देव और सुनील गावस्कर जैसे कई क्रिकेटर ऐसे हैं जो उम्र और अनुभव में सचिन से कहीं ज्यादा परिपक्व हैं. उन्हें ना चुनकर सचिन के नाम पर मुहर लगाने का क्या कारण हो सकता है?
हमारे देश में क्रिकेट खेल से कहीं ज्यादा है और सचिन के चाहने वालों के लिए वह किसी भगवान से कम नहीं हैं. कहीं सरकार सचिन की लोकप्रियता का फायदा अपने सियासी लाभ के लिए तो नहीं कर रही? क्रिकेट की पिच पर कमाल दिखाने वाले सचिन तेंदुलकर क्या भारत की सियासी सरगर्मी समझ पाएंगे? सचिन तेंदुलकर आज भी क्रिकेट खेल रहे हैं, उन्हें अगर राज्यसभा में बैठा दिया जाएगा तो क्रिकेट को नुकसान होना भी स्वाभाविक है.
कितनी सच्चाई है निर्मल बाबा और उनके चमत्कारों में !!
निश्चित रूप से सचिन रमेश तेंदुलकर, जिन्हें बहुत लंबे समय से भारत रत्न से नवाजने की मांग उठाई जा रही है, को मनोनीत सांसद का पद मिलना उनके और उनके चाहने वालों के लिए गर्व की बात है, लेकिन इस गर्व के पीछे कई ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब देना सरकार की जिम्मेदारी बनती है.
सचिन तेंदुलकर से पहले भी बॉलिवुड और क्रिकेट से जुड़े बहुत से लोग राजनीति में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर चुके हैं. लेकिन अनुभवहीनता और ग्लैमर की तरफ रुझान के कारण वह जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभा पाते. राजनीतिक क्षेत्र में उनके कमजोर साबित होने की वजह चाहे कुछ भी रहे लेकिन अंत में भारी नुकसान सिर्फ जनता जनार्दन को ही भुगतना पड़ता है.
राजनीति जिसे आजकल धन अर्जित करने का एक अच्छा माध्यम बना दिया गया है, मौलिक रूप से वह समाज सेवा का ही दूसरा नाम है और समाज सेवा करने के लिए जनता की समस्याओं को समझना बेहद जरूरी है और उनकी समस्याओं को समझने के लिए समय होना पहली अनिवार्यता है जो फेमस सिलेब्रिटीज के पास होता ही नहीं है. सचिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर हैं, जो पूरे वर्ष व्यस्त रहते हैं साथ ही आईपीएल भी खेलते हैं. अब इतनी अधिक व्यस्तता के बीच वह जनता के हितार्थ कितना काम कर पाते हैं यह देखने वाली बात होगी.
सचिन जैसे परिपक्व और समझदार व्यक्ति जो अपनी साफ और परिष्कृत छवि के लिए जाने जाते हैं, निश्चित है उन्होंने राज्यसभा पहुंचने जैसा निर्णय भी बहुत सोच-समझकर लिया होगा. कहीं ऐसा तो नहीं जनता की भलाई का कार्य करने की इच्छा लिए सचिन तेंदुलकर क्रिकेट की दुनियां को अलविदा कहने की तैयारी कर रहे हैं!!
सबसे खराब प्रोफेशन है रिपोर्टिंग….. पर क्यों !!!!
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