सर से लेकर पांव तक भ्रष्टाचार और घोटालों में घिरी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सराकार ने रविवार को अपने मंत्रिमंडल में भारी फेरबदल किया. इस फेरबदल में कुल 22 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई जिनमें से सात ने कैबिनेट, दो ने स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री और 13 ने राज्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इनमें से 17 मंत्री ऐसे हैं जिन्हें पहली बार सरकार में शामिल किया गया.
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इस फेरबदल में कुछ रसूखदार मंत्री ऐसे हैं जो सरकार में रहते हुए कांग्रेस अलाकमान के आशीर्वाद से एक बड़ा ओहदा हासिल करने में कामयाब रहे. इन्हीं में से एक हैं पूर्व कानून मंत्री और अब विदेश मंत्री बन चुके सलमान खुर्शीद. ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड से कानून की शिक्षा हासिल करने वाले सलमान खुर्शीद का सरकार में बहुत ही ऊंचा स्थान है. वह कांग्रेस के उन अग्रणी नेताओं में से एक हैं जो कांग्रेस आलाकमान या फिर पार्टी की किसी भी मुसीबत में सबसे आगे आते हैं. हाल ही में जब अरविंद केजरीवाल ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर संपत्ति से जुड़े संगीन आरोप लगाए थे तब उन्होंने पार्टी का सच्चा वफादार होने का परिचय दिया.
वैसे विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद का आलाकमान के प्रति वफादार होना उनकी कई खूबियों में से एक है. लेकिन हाल के दिनों में मीडिया के सामने उनकी एक नई खूबी देखने को मिली. एक राजनेता के तौर पर पिछले दिनों उन्होंने घमंडी, दबंग और दंभी होने का प्रदर्शन किया. सलमान खुर्शीद के ऊपर अपने ट्रस्ट के माध्यम से विकलांगों का पैसा खाने का आरोप लगा जो एक बहुत संवेदनशील आरोप है. उन्होंने खुलेआम एक समाचार समूह द्वारा लगाए गए आरोपों को अपनी आवाज से दबाने की कोशिश की. बतौर कानून मंत्री उन्होंने अरविंद केजरीवाल को गंदी नाली का कीड़ा कहकर संबोधित किया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी. उनके दंभी होने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तमाम लग रहे आरोपों के बाद उन्होंने अपनी पार्टी को हाथी तथा अरविंद केजरीवाल को चींटी होने का एहसास दिलाया.
कानून मंत्री रहते हुए उन्होंने अपने भाषणों और इंटरव्यू में न केवल धमकी भरे लहजे का प्रयोग किया बल्कि संवैधानिक संस्थाओं को चुनौती देने में भी नहीं घबराए. उत्तर प्रदेश के चुनाव में चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए वह चुनाव आयोग को चुनौती देते हुए नजर आए. ऐसे में सवाल उठता है कि जो नेता अहंकार में पूरी तरह से डूबा हुआ है और जिसने कानून मंत्री रहते हुए देश के कानूनों को ताक पर रखा हो वह क्या योग्य विदेश मंत्री के रूप में अपने आप को साबित कर पाएगा. सवाल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के आलाकमान पर भी उठता है कि सलमान खुर्शीद की इस तरक्की से क्या वह जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि वह आरोपियों को डिमोशन नहीं बल्कि वफादारी को देखते हुए प्रमोशन देते हैं.
यहां ध्यान देने वाली यह है कि जो मंत्री लोकतांत्रिक संस्थाओं और उसके मूल्यों को चुनौती देता हो और जिसकी छवि भारत में ही कानून मंत्री के रूप में तार-तार हो गई हो वह भला विदेशों में विदेश मंत्री के रूप में भारत का क्या प्रतिनिधित्व करेगा इसका अंदाजा साफ तौर पर लगाया जा सकता है.
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