कुछ दिन पहले सलमान खुर्शीद सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर लगे घपलों को लेकर आरोप का जोरशोर से बचाव कर रहे थे. आज वह स्वयं और उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद एक बहुत बड़े घपलों में संलिप्त नजर आ रहे हैं. गौरतलब है कि फर्रुखाबाद से सांसद एवं देश के कानून मंत्री सलमान खुर्शीद और उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद पर जनहित के नाम पर जालसाजी का बड़ा आरोप लगा है. एक निजी न्यूज चैनल के स्टिंग आपरेशन के मुताबिक, कानून मंत्री के ट्रस्ट को साल 2010 और 2011 में 100 करोड़ रुपए से भी अधिक सरकारी अनुदान मिला, जिसे फर्जी हस्ताक्षर और मुहर के सहारे डकार लिया गया. आपको बता दें कि केंद्र सरकार से मिला यह अनुदान विकलांगों को ट्राई साइकिल, बैसाखी और सुनने की मशीन मुहैया कराने के लिए था.
जमीर तो था ही नहीं गिरवी किसे रखते
सलमान खुर्शीद का यह ट्रस्ट उनके नाना और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट के नाम पर है जिसकी स्थापना 1986 में की गई थी. खुर्शीद इस ट्रस्ट के अध्यक्ष और उनकी पत्नी लुइस खुर्शीद इसकी प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं. 2010 में भारत सरकार के सामाजिक न्याय और सहकारिता मंत्रालय ने सलमान खुर्शीद के ट्रस्ट को 71 लाख 50 हजार रुपए दिए थे ताकि वह उत्तर प्रदेश के 17 जिलों में, जिसमें खुर्शीद का फर्रुखाबाद जिला भी शामिल है, विकलांगों को आवश्यक उपकरण प्रदान कर सके. लेकिन यहां तो जरूरतमंद को उपकरण मिलना दूर उलटे इन जिलों के बड़े-बड़े अफसरों के फर्जी दस्तखत और शिविर करके लाखों रुपए का बंदरबांट कर लिए गए.
अब सवाल यह उठता है कि क्या जनहित के नाम पर चलाए जा रहे इस गोरंखधंधे की जानकारी सलमान खुर्शीद को नहीं थी. अगर थी तो उन्होंने कार्यवाही करने के आदेश क्यों नहीं दिए. वह मूक की तरह क्यों बैठे रहे. उनका इस मुद्दे पर मूक रहना यह दर्शाता है कि वह और उनकी पत्नी भी इस गोरखधंधे में हिस्सेदार थे. सलमान खुर्शीद कांग्रेस में एक बड़े रसूखदार नेता हैं. उनकी कांग्रेस में हैसियत इतनी बड़ी है कि जब भी पार्टी को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है पार्टी उन्हें याद करती है. ऐसे में इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस का क्या रुख होता है यह भी देखने वाली बात होगी.
“भ्रष्टाचार” भी कम है इनके कर्मों को बताने के लिए
एक तरफ कांग्रेस के सहयोगी और समर्थक दल सरकार से हटने की धमकी दे रहे हैं तो दूसरी तरफ नित नए–नए घपलों और घोटालों ने कांग्रेस के भविष्य़ पर ही सवाल खड़ा कर दिया है. आज कांग्रेस का कोई भी मंत्रालय और उनका नेता भ्रष्टाचार से मुक्त दिखाई नहीं दे रहा है. इसमें कांग्रेस के रसूखदार नेता भी शामिल हैं और छोटे नेता भी शामिल हैं. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में भ्रष्टाचार इस कदर फैला हुआ है कि इसमें कांग्रेस तो कांग्रेस उसकी सहयोगी पार्टियां भी संलिप्त नजर आ रही हैं.
भ्रष्टाचार के नित नए खुलासे के बाद उम्मीद लगाए बैठे लोगों को जांच की दरकार है. लेकिन यहां सवाल उठता है कि इन घपलों की जांच कौन करे. क्या इस सरकार से निष्पक्ष जांच की उम्मीद की जा सकती है जो सर से लेकर पांव तक भ्रष्टाचार के सागर में डूबी हुई है.
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