पीछे कई महीनों से पूंजीवादी व्यवस्था में हो रही लूट का हिसाब लेने के लिए तैयारियां चल रही हैं. बड़े कॉरपोरेट घरानों की जवाबदेही तय हो इसके लिए भारत की संवैधानिक और वैधानिक संस्थाएं तथा मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं. इसी के मद्देनजर बाजार नियामक सेबी ने सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय और उनकी दो कंपनियों के बैंक खातों पर रोक लगाने के लिए कुर्की के आदेश दिए हैं.
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पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय ने इन कंपनियों को निवेशकों का 24,000 करोड़ रुपये से अधिक पैसा वापस करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने निर्देश दिया था कि यदि सहारा ग्रुप की कंपनियां निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए सेबी के पास पैसा जमा नहीं करती हैं तो सेबी उसके खातों पर रोक लगाने तथा संपत्ति कुर्क करने को मुक्त है.
निवेशकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बनी नियामक संस्था सेबी ने सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) और सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) के खिलाफ दो अलग-अलग आदेश जारी करते हुए कहा कि इन कंपनियों ने बॉन्ड धारकों से 6,380 करोड़ रुपये तथा 19,400 करोड़ रुपये जुटाए थे. धन जुटाने में ‘विभिन्न अनियमितताएं’ बरती गईं.
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भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जिन संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया है, उसमें पुणे के पास सहारा समूह की कंपनी एम्बी वैली की जमीन शामिल है. इसमें दिल्ली, गुड़गांव, मुंबई तथा देश के विभिन्न स्थानों पर समूह की परियोजनाओं के विकास के अधिकार भी शामिल हैं. इसके अलावा सेबी ने एम्बी वैली में इक्विटी शेयर, म्यूचुअल फंड, बैंक तथा डिमैट खातों तथा सभी बैंकों की शाखाओं में जमा पैसे को जब्त करने का भी आदेश दिया है.
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल अगस्त में इन कंपनियों को निवेशकों का पैसा 15 प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया था और सेबी से इस पर निगरानी रखने के लिए कहा गया था. सहारा समूह की अर्जी पर दिसंबर 2012 में ये पैसा तीन किस्तों में लौटाने की छूट दी गई. कोर्ट ने उस समय आदेश दिया था कि सहारा समूह 5,120 करोड़ रुपये तत्काल जमा करे और 10,000 करोड़ रुपये जनवरी के पहले हफ्ते में जमा करे जबकि बाकी राशि फरवरी 2013 के पहले सप्ताह में दे. सेबी ने बुधवार को अपने आदेश में कहा कि इनमें से किसी कंपनी ने बाकी की किस्तें नहीं जमा कराई हैं इसलिए उसे कोर्ट के आदेशानुसार यह कार्रवाई करनी पड़ी है.
वैसे यह पहला मामला नहीं है जब सहारा समूह पर सेबी का डंडा पड़ा हो. इससे पहले भी सहारा समूह पर आम निवेशकों से धन जुटाने के आरोप लगे हैं. गलत तरीके से पैसे जुटाने में केवल सहारा समूह की कंपनियां ही आगे नहीं हैं बल्कि देश की अन्य दूसरी बड़ी कंपनियां भी शामिल हैं. यहा जरूरत है निवेशक तो सतर्क रहे ही साथ ही ऐसी कंपनियों की धोखाधड़ी से बचने के लिए उनकी कार्यशैली, व्यापारिक नैतिकता, वित्तीय सौदों पर नजर रखना भी आवश्यक है.
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