भारतीय पत्रकारिता जगत में अपना अहम मुकाम बनाने वाले वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर का 95 की उम्र में निधन हो गया। 14 अगस्त 1924 में सियालकोट (पाकिस्तान) में जन्मे कुलदीप शुरुआती दिनों में एक उर्दू प्रेस रिपोर्टर थे। वह दिल्ली के समाचार पत्र ‘द स्टेट्समैन’ के संपादक थे और उन्हें भारतीय आपातकाल (1975-77) के अंत में गिरफ्तार किया गया था। वह एक मानवीय अधिकार कार्यकर्ता और शांति कार्यकर्ता भी रहे हैं। वह 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे। 1990 में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था, अगस्त 1997 में राज्यसभा में नामांकित किया गया था। वह डेक्कन हेराल्ड (बेंगलुरु), द डेली स्टार, द संडे गार्जियन, द न्यूज, द स्टेट्समैन, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून पाकिस्तान, डॉन पाकिस्तान, सहित 80 से अधिक समाचार पत्रों के लिए 14 भाषाओं में कॉलम और ऐप-एड लिखते रहे।
ऐसी खास बातें जिनके लिए कुलदीप नैय्यर को रखा जाएगा याद
आपातकाल के दौरान आवाज उठाने वाले पत्रकार
‘द जजमेंट : इनसाइड स्टोरी ऑफ द इमरजेंसी इन इंडिया’ में कुलदीप नैय्यर ने आपातकाल के दौरान सरकार और जनता की स्थिति के बारे में खुलकर लिखा है। कुलदीप नैय्यर ने किताब में 12 जून 1975, जिस दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को लेकर फैसला सुनाया था, से अपना वर्णन शुरू किया है। यह आपातकाल पर लिखी प्रमुख किताबों में से एक है। आपाताकाल के दौरान उन्होंने इंदिरा सरकार के खिलाफ खुलकर लिखा। उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
‘बियॉन्ड द लाइंस’ किताब में उन्होंने राजनीति किस्सों के बारे में लिखा है
यह कुलदीप नैय्यर की आत्मकथा है। किताब में उन्होंने पाकिस्तान में जन्म से लेकर भारत में पत्रकारिता और राजनीतिक उथल-पुथल की घटनाओं को रोचक तरीके से बयां किया है। इसमें उन्होंने अपने पत्रकारिता क्षेत्र से लेकर सासंद बनने तक के सफर और आपातकाल से जुड़ी कई बातें लिखी हैं। इस किताब में ही उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री के पीएम बनने की वजह अपनी खबर को बताया था।
शांति और मानवाधिकारों के प्रति उनका रूख
कुलदीप हमेशा से देश में शांति और मानवाधिकारों को लेकर खुलकर लिखते रहे। इसके लिए उन्होंने सरकार के नाम काफी चिट्ठियों के द्वारा अपनी बात रखी। मानवाधिकारों को जानने और समझने के लिए वो कई संस्थाओं के काम-काज को भी देखा करते थे।
राज्यसभा के लिए किया गया था मनोनीत
23 नवम्बर, 2015 को वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक कुलदीप नैय्यर को पत्रकारिता में आजीवन उपलब्धि के लिए रामनाथ गोयनका स्मृ़ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें यह पुरस्कार दिल्ली में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में केद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने प्रदान किया था। कुलदीप नैय्यर अगस्त, 1997 में राज्यसभा के मनोनीत सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए।
अपनी ऑटोबॉयोग्राफी लिखने के अलावा लिखी ये किताबें
उनकी ऑटोबॉयोग्राफी काफी चर्चित रही। उनकी आत्मकथा ‘बियांड द लाइंस’ अंग्रेजी में छपी थी। बाद में उसका हिंदी में अनुवाद, एक जिंदगी काफी नहीं नाम से प्रकाशित हुआ। उन्होंने इसके अतिरिक्त कई किताबें ‘बिटवीन द लाइं,’, ‘डिस्टेंट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कान्टिनेंट’, ‘इंडिया आफ्टर नेहरू’, ‘वाल एट वाघा, इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप’, ‘इण्डिया हाउस’ जैसी कई किताबें भी लिखीं….Next
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