आँखें इंसानों को जिंदगी के रंगों से रूबरू कराती है. कुछ विशिष्ट लोगों की आँखों की रोशनी जन्म के समय या उसके बाद समाप्त हो जाती है. इस समस्या को हल करने की दिशा में कई प्रयास किये जाते रहे हैं. अब एक ऐसा विकल्प सामने आ रहा है जिससे आँखों की रोशनी खो चुके कुछ लोग वापस उसे पा सकते हैं. फोटोरेसेप्टर कोशिकाओं के काम बंद करने के कारण जिन लोगों की आँखों की रोशनी चली गयी हो उनके लिये यह ख़बर थोड़ी सुकून भरी हो सकती है.
वैज्ञानिकों ने एक ऐसी इम्प्लांट विकसित की है जिससे इस बीमारी से जूझ रहे लोगों में लम्बी विद्युत धारा का प्रवाह सुनिश्चित किया जा सकेगा. इम्प्लांट, कोशिका या किसी तरह की कृत्रिम वस्तु को कहते हैं. आर पी यानी रेटिनिटिस पिग्मेन्टोसा आँखों की एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें रेटिना के अंदर प्रकाश की पहचान करने वाले कोशिकाओं का क्षरण हो जाता है. इससे लोग अंधेपन की दिशा में बढ़ते हैं.
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ब्रिटेन में 4,000 में से हर एक व्यक्ति इससे जूझ रहा है. इसलिये प्रायोगिक तौर पर आर पी से ग्रस्त एक व्यक्ति की आँखों के पीछे आर्गस नामक कृत्रिम वस्तु लगायी गयी. इस प्रयोग से उन्हें सकारात्मक संकेत मिले. दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोपेसर एंड्रयू वेट्ज इसे आर पी से जूझ रहे लोगों की आँखों की रोशनी वापस लाने में अहम मान रहे हैं.
साइंस ट्रांसलेश्नल मैडिसीन में इम्प्लांट का वर्णन रोगियों को प्रकाश के केंद्रित स्पॉट्स देखने के बतौर किया गया है. प्रोफेसर का कहना है कि प्रकाश के केंद्रित स्पॉट्स का निर्माण महत्तवपूर्ण है. प्रकाश के कई स्पॉट को वस्तु का आकार देकर किसी वस्तु की शार्प छवि बनायी जा सकती है.Next…..
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