बीते सालों में आप विलियम्स बहनों को मिनी स्कर्ट या डिजाइनर शॉर्ट स्कर्ट में टेनिस खेलते देखते थे तो आपमें से कितने उन्हें इस रुप में देखकर सजह महसूस करते थे? फिर आया दौर भारत में सानिया मिर्ज़ा का. अपने स्टाइलिश लुक और स्कर्ट पहनकर टेनिस खेलने के लिए सानिया मिर्ज़ा को तो अपने देश में फतवों का भी सामना करना पड़ा था. लेकिन यह सब पुराना हो गया है और टेनिस फेडरेशन ने महिला खिलाड़ियों को स्कर्ट पहनना जरुरी कर दिया है.
दरअसल बैडमिंटन को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन (बीडब्ल्यूएफ) ने महिला टेनिस से प्रेरणा लेते हुए नया ड्रेस कोड लागू किया है. इसके तहत लड़कियों के लिए ग्रां प्री टूर्नामेंट्स में शॉर्ट्स की बजाय स्कर्ट पहनना जरूरी कर दिया गया है. यह नया नियम 1 मई से लागू होगा. इसके पीछे बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन (बीडब्ल्यूएफ) का तर्क है कि इससे प्रायोजकों को लुभाने में मदद मिलेगी.
नए नियम के मुताबिक भारतीय बैडमिंटन संगठन ने भी अपनी खिलाड़ियों से कोर्ट पर स्कर्ट पहनने को कहा है. भारतीय खिलाड़ी साइना नेहवाल अक्सर बैडमिंटन स्कर्ट के बजाय शॉर्ट्स पहनकर खेलना पसंद करती हैं लेकिन इस मसले पर उनका कहना है कि इसमें कुछ गलत भी नहीं हैं और वह स्कर्ट में भी अपना खेल जारी रख पाएंगी. लेकिन वहीं दूसरी ओर देश की एक और टेनिस स्टार ज्वाला गुट्टा का रुख विपरीत है. ज्वाला गुट्टा को भी खेल के दौरान स्कर्ट पहनने से परहेज नहीं है, लेकिन उन्हें इस फरमान पर आपत्ति है कि इसे अनिवार्य कर दिया गया है. ज्वाला का कहना है कि यह खिलाड़ियों का निजी फैसला होना चाहिए था और इस तरह से चीप पब्लिसिटी हासिल करना सही बात नहीं है.
इस पूरे प्रकरण से एक बात तो साफ हो गई कि ग्लैमर की चमक अब खेलों को भी अपनी रोशनी में डुबाना चाहती है और खेल आयोजक अपने प्रायोजकों को खींचने के लिए सभी तरह के दांव पेंच इस्तेमाल करना चाहते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा पैसा बनाया जा सके. लेकिन क्या इससे महिलाओं के आत्म सम्मान को चोट नहीं पहुंचेगी. जो खिलाड़ी स्कर्ट नहीं पहनना चाहतीं उनके लिए तो मुसीबत ही मुसीबत. आजकल के बाजारवाद में इस फैसले ने एक बार फिर पुरुषवादी सोच को जाहिर कर दिया है जिसमें उसे स्त्री मात्र एक भोग्या नजर आती है. यह एक तरह से वही बात हुई जैसे आईपीएल और टी20 में चीयरलीडर्स को नचाया जाता है वैसे ही टेनिस कोर्ट में खिलाड़ियों को भी छोटे-छोटे कपड़ों में खेलने को विवश किया जाए. अगर खिलाड़ी निजी स्तर पर स्कर्ट में खेलने को तैयार है और कंफर्ट महसूस करती है तो सही है वरना इसे एक तुगलकी फरमान ही कहा जाएगा.
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