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अब आसान नहीं है सलाखों के पीछे पहुंचाना

social networking sitesआज के इस आधुनिक युग में सोशल मीडिया (Social Media) का इस्तेमाल एक व्यक्ति के जीवन में काफी बढ़ गया है. आज वह इसे केवल मनोरंजन के साधन के रूप में नहीं बल्कि इसके जरिए जनहित से जुड़े मुद्दे और सरकार, पुलिस, प्रशासन की नाकामियों तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाकर व्यवस्था में सुधार लाने की कोशिश करता है. लेकिन सवाल उठता है कि क्या वास्तव में सोशल मीडिया शासन को स्वस्थ बनाने के लिए एक जरिया है? या फिर इन जैसे मंचों के इस्तेमाल से आपत्तिजनक पिक्चर और टिप्पणी अपलोड करके समाज को दूषित और गुमराह करने की कोशिश की जाती है, जिसके परिणामस्वरूप सरकार को यह मौका मिल जाता है कि वह सोशल मीडिया के माध्यम को ही बंद करे या फिर उन लोगों को गिरफ्तार करे जो सीधे तौर पर इसे दूषित करने के जिम्मेदार हैं. ऐसे में वह लोग भी पुलिस की गिरफ्त में आ जाते हैं जो निर्दोष होते हैं.

सामने खड़ी है एक बड़ी चुनौती


Supreme Court Directions Facebook

इसी मामले को लेकर हाल में ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सोशल नेटवर्किंग साइटों (Social Networking Sites) (फेसबुक, ट्विटर, ऑरकुट आदि) पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों को यदि गिरफ्तार करना है तो इसके लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अनुमति लेनी जरूरी है.


1. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार सोशल नेटवर्किंग साइट (Social Networking Sites) पर आपत्तिजनक टिप्पणी पर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 66ए के तहत किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए पुलिस महानिरीक्षक या उससे ऊपर स्तर के अधिकारी की अनुमति लेनी आवश्यक है.


2. सुप्रीम कोर्ट के जज बी एस चौहान और जज दीपक मिश्रा की अवकाश पीठ ने श्रेया सिंघल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इसके लिए राज्य सरकारों को निर्देश दिया जाता है कि वो इस तरह की किसी भी गिरफ्तारी से पहले केंद्र सरकार की सलाह को मानें.

ज्ञात हो कि सोशल मीडिया पर टिप्पणियां लिखने वाले लोगों की गिरफ्तारी को लेकर उपजे जनाक्रोश के मद्देनजर नौ जनवरी को केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए निर्देश जारी किया था. इसमें कहा गया था कि ऐसे मामलों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की पूर्वानुमति के बगैर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाए.


कैसे सामने आया यह मामला

हैदराबाद स्थित एक महिला कार्यकर्ता जया विंध्याला को फेसबुक पर तमिलनाडु के गवर्नर के. रोसैया और कांग्रेस के विधायक अमांची कृष्ण मोहन के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी लिखने के आरोप में 12 मई को गिरफ्तार किया गया था जिसके बाद यह अर्जी दायर की गई थी. विंध्याला को आंध्र प्रदेश के एक विधायक की शिकायत पर आईटी धारा 66ए और भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत गिरफ्तार किया गया था.


सोशल नेटवर्किंग साइट.


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