बॉलीवुड के वरिष्ठ अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा और ‘दंबग’ फिल्म से चर्चित हुई उनकी पुत्री सोनाक्षी सिन्हा को सिनेमा के क्षेत्र में योगदान के लिए इस वर्ष दादा साहब अकादमी अवॉर्ड के लिए चुना गया है.
) को ‘दादा साहब अकादमी बेस्ट डेब्यू अवार्ड’ से सम्मानित किया जाएगा.
निहलानी ने कहा, ‘शत्रुघ्न सिन्हा को फिल्मों में एक लंबे समय से काम करने और इसी के समानांतर राजनीति में भी सक्रिय रहने के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया है.’ दादा साहब फाल्के एकेडमी में पहलाज निहलानी और फिल्म स्टार मिथुन चक्रवर्ती समेत कुल आठ न्यासी हैं.
भारतीय फिल्म उद्योग के पितामह दादा साहब फाल्के की जयंती 30 अप्रैल को है. भारतीय सिनेमा के जनक माने जाने वाले दादा साहब फाल्के की जयंती को विशिष्ट बनाने के लिए एकेडमी 30 अप्रैल को उनकी जयंती पर विशेष अवॉर्ड समारोह आयोजित करती है और उन फिल्मी हस्तियों को सम्मानित करती है जो फिल्म उद्योग के विकास और बेहतरी में अपना योगदान करते हैं.
प्रख्यात फिल्म अभिनेता और निर्माता देवानंद को वर्ष 2010 में फाल्के रत्न अवार्ड दिया गया था. अभिनेता प्राण और गायिका लता मंगेशकर भी पिछले वर्ष सम्मानित किए जा चुके हैं. शत्रुघ्न सिन्हा का जन्म बिहार की राजधानी पटना में 15 जुलाई 1946 में हुआ था और वह भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे से स्नातक हैं. उन्होंने वर्ष 1969 में फिल्म ‘साजन’ के साथ अपने कॅरियर की शुरूआत की थी.
विगत चार दशकों में सिन्हा ने कम से कम 200 हिन्दी फिल्मों में काम किया है. सिन्हा फिल्मों में अपने नकारात्मक चरित्र के लिए जाने गए. उनकी प्रसिद्ध फिल्मों में ‘रामपुर का लक्ष्मण’, ‘कालीचरण’ मिलेनियम स्टार अमिताभ बच्चन के साथ की फिल्मों में ‘दोस्ताना’, ‘काला पत्थर’, ‘शान’ और ‘नसीब’ इत्यादि हैं.
उन्होंने पंजाबी फिल्म ‘पुत्त जट्टां दे’ और ‘सत श्री अकाल’ में भी अभिनय किया है. अभिनय के अलावा उन्होंने ‘कशमकश’, ‘दोस्त’ और ‘दो नारी’ जैसी फिल्मों में गाने में भी हाथ आजमाया. हाल में रिलीज हुई रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘रक्तचरित्र’ में उन्होंने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन टी रामाराव की भूमिका निभाई जिसके लिए उन्होंने पहली बार अपनी मूंछें साफ करवाईं.
) ने वर्ष 2010 की सबसे सफल फिल्म ‘दबंग’ में प्रसिद्ध अभिनेता सलमान खान के साथ काम कर दर्शकों को आकर्षित किया था.
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