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सरकार ने इस महिला को दिया सर्टिफिकेट, किसी जाति या धर्म की नहीं है कोई बाध्यता

‘जाति’ एक ऐसी वर्ण व्यवस्था जो किसी को श्रेष्ठ बताती है और किसी को दोयम दर्जे का, लेकिन आधुनिकता की सबसे अच्छी बात ये है कि इस जंजीरों को तोड़ते हुए युवा जाति को मानने से इंकार कर रहे हैं। कई लोग तो ऐसे हैं जो इस मुद्दे पर जमकर लिखते हैं और खुद पर अमल करते हुए अपने नाम के साथ ‘सरनेम’ नहीं लगाते। सोशल मीडिया पर भी आपको कई ऐसे अकांउट मिल जाएंगे जिनके नाम के साथ कोई सरनेम नहीं है लेकिन जब आपको ऑफिशियल पेपर भरते हैं तो उसमें आपके धर्म के साथ लास्ट नेम का ऑप्शन भी होता है जोकि अनिवार्य होता है।
ऐसे में आपको वो कॉलम भरना ही पड़ता है लेकिन तमिलनाडु के वेल्लोर जिले की रहने वाली स्नेहा ने एक ऐसा काम कर दिखाया है जो पूरे देश में अब तक किसी ने नहीं किया। स्नेहा अपना धर्म या सरनेम दिखाने के लिए बाध्य नहीं है।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal14 Feb, 2019

 

 

पेशे से वकील हैं स्नेहा
पेशे से वकील स्नेहा को आधिकारिक रूप से ‘नो कास्ट, नो रिलिजन’ सर्टिफिकेट मिल गया है। यानी कि अब सरकार दस्तावेज़ों में इन्हें जाति बताने या उसका प्रमाण पत्र लगाने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
एमए स्नेहा वेल्लोर जिले के तिरुपत्तूर की रहने वाली हैं। वह बतौर वकील तिरुपत्तूर में प्रैक्टिस कर रही हैं और अब सरकार के द्वारा उन्हें जाति और धर्म न रखने की भी इजाज़त मिल गई है। स्नेहा और उनके माता-पिता हमेशा से किसी भी आवेदन पत्र में जाति और धर्म का कॉलम खाली छोड़ते थे।

 

पहली बार बना है इस तरह का सर्टिफिकेट
लंबे समय से जाति-धर्म से अलग होने के उनके इस संघर्ष की 5 फरवरी को जीत हुई, जब उन्हें सरकार की ओर से यह प्रमाण पत्र मिला। 5 फरवरी को तिरुपत्तूर जिले के तहसीलदार टीएस सत्यमूर्ति ने स्नेहा को ‘नो कास्ट- नो रिलिजन’ सर्टिफिकेट सौंपा। स्नेहा इस कदम को एक सामाजिक बदलाव के तौर पर देखती हैं। यहां तक कि वहां के अधिकारियों का भी कहना है कि उन्होंने इस तरह का सर्टिफिकेट पहली बार बनाया है।

 

2010 में किया था इस सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई
स्नेहा ने इस सर्टिफिकेट के लिए 2010 में अप्लाई किया था लेकिन अधिकारी उनके आवेदन को टाल रहे थे। लेकिन 2017 में उन्होंने अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रखना शुरू किया। स्नेहा ने कहा कि तिरुपत्तूर की सब-कलेक्टर बी प्रियंका पंकजम ने सबसे पहले इसे हरी झंडी दी। इसके लिए उनके स्कूल के सभी दस्तावेज़ खंगाले गए जिनमें किसी में भी उनका जाति-धर्म नहीं लगा था।

स्नेहा के इस कदम की अभिनेता से नेता बने कमल हासन ने भी तारीफ की है…Next

 

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