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चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री नहीं हो सकता !!

इसमें कोई शक नहीं है कि भारत में तर्क और विवेकहीन नेताओं की जमात है. ये वो नेता हैं जो किसी खास व्यक्ति और पारिवार की भक्ति लिए जाने जाते हैं. इनके लिए लोकतंत्र, संविधान कोई मायने नहीं रखता, बस जो मन में आए मुंह से बक देते हैं. समाजवादी पार्टी (एसपी) के नेता नरेश अग्रवाल कहने को तो पार्टी के महासचिव है लेकिन उनकी भाषा से कही भी नहीं लगता कि वह अपने इस पद का सम्मान देते हो.


naresh agarwalसमाजवादी पार्टी के महासचिव नरेश अग्रवाल ने बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि एक चाय बेचने वाले का नजरिया कभी राष्ट्रीय स्तर का नहीं हो सकता. मीडिया खबर के मुताबिक आपको बताते चले कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीति में आने से पहले गुजरात के एक रेलवे स्टेशन पर कभी चाय बेचा करते थें.


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नरेश अग्रवाल ने हरदोई में एक सभा को संबधित करते हुए कहा “मैं कहता हूं कि चाय की दुकान से उठने वाले का नजरिया कभी राष्ट्रीय स्तर का नहीं हो सकता. ठीक वैसे ही जैसे एक सिपाही को कप्तान बना दिया जाए तो उसका नजरिया कप्तान का नहीं हो सकेगा. भीड़ तो मदारी भी जुटा लेता है.”  अग्रवाल के इस बयान की चौतरफा आलोचना की जा रही है.


अगर अग्रवाल यह मानते हैं कि कोई चाय बेचने वाला राष्ट्रीय स्तर नेता (प्रधानमंत्री) नहीं बन सकता. तो इस तरह से उन्होंने अपने बयान से भारतीय लोकतंत्र और संविधान को आघात पहुंचाया है. जिसमें सबकों राजनीतिक अधिकार दिए जाने की बात कही गई है. उनकी इस बात से यह लगता है कि देश का निम्न वर्ग जो चाय, फल और सब्जी बेचकर अपना और अपने परिवार का पेट पालता है उसके अंदर यह क्षमता और योग्यता नहीं है कि वह राष्ट्रीय मुद्दों अपनी राय दे और अपने आप को प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदार हो सके. उनके बयान से यह जाहिर होता है कि प्रधानमंत्री पद उच्च मध्यम और उच्च वर्ग के लिए है. हालांकि अग्रवाल अपने इस जनसभा में मोदी को यह भी सीखाते हुए दिखे कि राष्ट्रीय मुद्दों पर किस तरह से चुनाव लड़ना चाहिए. अग्रवाल ने कहा, ‘मोदी किसी ग्राम प्रधान या विधायक का चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. आप प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं और आपको राष्ट्रीय मुद्दों पर बात करनी चाहिए.’


एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी ‘मोदी द्वारा चाय बेचने के मुद्दे को’ आगामी चुनाव के लिए भुना रही है वहीं दूसरी तरफ नरेश अग्रवाल जैसे नेता वर्गीय रूप से मोदी को नीचा दिखाकर खुद अपने पैर पर कुलगाडी मार रहे हैं. वह किसी खास व्यक्ति और परिवार को खुश करने के ऐवज में उस वर्ग को ठेस पहुंचा रहे हैं जो असली में देश का मतदाता कहलाता है. वैसे सपा नेता नरेश अग्रवाल इकलौते नेता नहीं है जो इस तरह की बेतुकी बयान देते हो. उन जैसे तर्कहीन नेताओं की जमात हमारे देश में है. वह किसी भी पार्टी से संबंधित हो सकते हैं.


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