वर्तमान में भारतीय राजनीति में तेजी से बदलती घटनाएं यह बताती हैं कि आम चुनाव नजदीक आ चुका है. एक तरफ जहां विपक्ष सरकार को अलग-अलग मुद्दों पर घेरने की तैयारी में लगा हुआ है वहीं सत्ता पक्ष अपने लुभावने वादों और जनहित संबंधित निर्णय लेकर वोटरों को अपने पक्ष में कर रहा है. अभी दागी सांसदों और विधायकों को बचाने वाला अध्यादेश का मुद्दा शांत भी नहीं हुआ कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को पृथक तेलंगाना राज्य के गठन को मंजूरी दे दी. देश के 29वें राज्य के रूप में तेलंगाना का गठन आंध्र प्रदेश को विभाजित कर किया जाएगा. इससे पृथक तेलंगाना राज्य के विरोध में आवाजें तेज हो गई हैं.
इस्तीफे का दौर शुरू
खबर है कि फैसले के विरोध में पर्यटन मंत्री चिरंजीवी ने इस्तीफा फैक्स कर दिया है. मानव संसाधन विकास मंत्री पल्लम राजू, रेल राज्य मंत्री कोटला सूर्य प्रकाश रेड्डी ने इस्तीफे की पेशकश की है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी सहित कई केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे से राजनीति गरम हो गई है. उधर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विरोध कर रहे मंत्रियों को जल्दबाजी में कदम न उठाने की सलाह दी है.
इस मुद्दे पर राजनीति
विरोध करने वालों में वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगनमोहन रेड्डी भी हैं. अलग तेलंगाना के विरोध में जगन ने आज से 72 घंटे के बंद का ऐलान किया है, जिसका सीमांध्र में बड़े पैमाने पर असर देखने को मिल रहा है.
जगन ने इस फैसले के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए मांग की है कि सीमांध्र के सभी लोकसभा सदस्यों को इस्तीफा दे देना चाहिए. जगन मोहन का मानना है कि सरकार ने आंध्र प्रदेश विधानसभा के प्रस्ताव के बिना ही विभाजन का निर्णय लिया है जबकि सन 2000 में छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड के गठन के वक्त विधानसभा में प्रस्ताव पारित किए गए थे. उधर भाजपा ने कैबिनेट के इस कदम को देरी से लिया हुआ कदम बताया है. भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस राज्य को बांटने के साथ-साथ लोगों को भी बांट रही है, जबकि एनडीए के शासनकाल के दौरान ऐसा नहीं हुआ था.
तेलंगाना विवाद
आंध्रप्रदेश को यदि बांटा जाता है तो इसके दो भाग होंगे एक तेलंगाना दूसरा सीमांध्र. फिलहाल इस समय आंध्र प्रदेश के 294 विधानसभा सीटों में से 119 तेलंगाना में हैं जबकि 175 सीमांध्र में हैं. वहीं 42 लोकसभा सीटों में से 17 सीटें तेलंगाना में और 25 सीटें सीमांध्र में हैं.
वर्तमान आंध्रप्रदेश के 23 जिलों में 10 जिले तेलंगाना में शामिल हैं. ये जिले मेडक, महबूबनगर, आदिलाबाद, निजामाबाद, करीमनगर. हैदराबाद, खम्मम, नलगोंडा, वारंगल, रंगारेड्डी हैं. इन 10 जिलों में से 5 जिले अति अल्प विकसित हैं. मेडक, महबूबनगर, आदिलाबाद, निजामाबाद और करीमनगर का एक बड़ा हिस्सा इस श्रेणी में आता है. इसी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं जबकि पूरे तेलंगाना क्षेत्र में फैले बुनकरों की हालत बहुत खराब है.
केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले बाद एक बार फिर छोटे राज्यों के गठन की मांग ने जोर पकड़ लिया है. देश में पहले से ही बुंदेलखंड, हरित प्रदेश, विदर्भ, पूर्वांचल, गोरखालैंड, बोडोलैंड जैसे क्षेत्रों ने अलग राज्य की मांग की है.
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