वो व्यक्ति कभी आंतकवादी था, जिसका काम लोगों में दहशत फैलाना था। लेकिन फिर एक घटना के बाद इस आतंक के रास्ते को छोड़ते हुए उसने भारतीय सेना ज्वाइन कर ली। शहीद लांस नायक नाजिर अहमद वानी की, जिन्हें कल अंतिम विदाई दी गई। उनके पार्थिव शरीर को ताबूत में रखकर तिरंगे में लपेटकर जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में उनके पैतृक गांव अशमुजी लाया गया।
आंतक से कर लिया था किनारा
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि वानी सेना में शामिल होने से पहले खूंखार आतंकी थे। उन्होंने बाद में हिंसा के रास्ते को छोड़कर देश सेवा के लिए सेना में शामिल हो गए। 2004 में उन्होंने आर्मी ज्वाइन की। टेरिटोरियल आर्मी की 162वीं बटालियन से उन्होंने कॅरियर की शुरुआत की।
हिजबुल और लश्कर से जुड़े थे आंतकी
25 नवंबर को शोपियां के हिपुरा बाटागुंड इलाके में 6 आतंकी मारे गए थे, जिसमें से चार हिजबुल मुजाहिदीन और दो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे। उनकी पहचान उमर मजीद गनी, मुश्ताक अहमद मीर, मोहम्मद अब्बास भट, मोहम्मद वसीम वगई, खालिद फारूक मली के रूप में हुई। उमर गनी बाटमालू एनकाउंटर के दौरान बच निकला था। पिछले दिनों उसकी तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें उमर लाल चौक के आसपास नजर आया था। बीते दो साल में वह कई जवानों और आम नागरिकों की हत्या में शामिल रहा था।
आंतकियों के साथ मुठभेड़ में लगी थी गोलियां
सेना के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया के मुताबिक, “वानी को बाटागुंड में मुठभेड़ के दौरान गोलियां लगी थीं। उन्हें तुरंत अस्पताल लाया गया लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। दुख की इस घड़ी में आर्मी वानी के परिवार के साथ है।” सोमवार को अंतिम संस्कार के दौरान उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा गया और 21 बंदूकों की सलामी दी गई। उनके परिवार में पत्नी, बेटा और बेटी हैं।
उनकी अंतिम विदाई में करीब 600 लोग शामिल होने आए थे…Next
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