भारत में जब भी महिला सशक्तिकरण की बात चलती है तो उन स्त्रियों का नाम सबसे पहले आता है जो या तो राजनीति या फिर सिनेमा या बिजनेस से जुड़ी हों. लेकिन इसके अलावा भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां महिलाएं सशक्तिकरण की राह पर हैं और अपने पक्ष की मजबूत दावेदारी दिखा रही है. ऐसा ही एक क्षेत्र है देश की सुरक्षा. जी हां, देश की सुरक्षा सबसे अहम होती है तो इस क्षेत्र में आखिर महिलाओं की भागीदारी को कम क्यूं आंका जाए. पहले भी भारतीय सेना के उच्च पदों पर कई महिलाओं ने अपना नाम रोशन किया है और अब इस बार देश की मिसाइल सुरक्षा की कड़ी में 3000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली अग्नि-4 मिसाइल के सफल परीक्षण कर एक और महिला का नाम रोशनी में आया. क्या आपको पता है कि इस प्रोगाम की डायरेक्टर एक महिला हैं.
मिसाइल वुमेन टेसी थॉमस
मिसाइल वुमेन के नाम से मशहूर टेसी थॉमस वह शख्सियत हैं जिन्होंने देश के मिसाइल प्रोगाम में अहम रोल अदा किया है. आमतौर पर रणनीतिक हथियारों और न्यूक्लियर मिसाइल के क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व रहा है लेकिन पिछले 20 सालों से टेसी थॉमस इस क्षेत्र में मजबूती से जुड़ी हुई हैं. रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) की वैज्ञानिक डॉ. टेसी थॉमस डीआरडीओ की एक महत्वपूर्ण परियोजना पर काम कर रही हैं और पहले पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की टीम में भी काम कर चुकी हैं. टेसी थॉमस पहली भारतीय महिला हैं, जो देश की मिसाइल प्रोजेक्ट को संभाल रही हैं.
टेसी उन भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, जो देश के मिसाइल प्रोजेक्ट में काम करने की इच्छा रखती हैं. अग्नि-2 मिसाइल प्रोजेक्ट की हेड रही टेसी को अग्नि-5 मिसाइल प्रोजेक्ट की कमान भी सौंपी गई है.
जो लोग कल तक महिलाओं को नाजुक समझते थे उनके लिए टेसी एक उदाहरण हैं कि अगर महिलाएं चाहें तो आग से भी खेल सकती हैं. घर में बेलन चलाने वाले हाथ अगर चाहें तो देश की रक्षा में मिसाइल भी बना सकते हैं. यह भारत के लिए गर्व की बात है कि अब महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं.
अग्नि 4
अपने मिसाइल कार्यक्रम को नई मजबूती देते हुए भारत ने मंगलवार को परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम नई तरह की अग्नि बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया. उड़ीसा के तट के नजदीक एक द्वीप से परीक्षण के लिए दागी गई इस मिसाइल की मारक क्षमता तीन हजार किलोमीटर से अधिक है. यह मिसाइल अग्नि-4 कही जाएगी. इस मिसाइल को 3,500 किलोमीटर की दूरी तक भी दागा जा सकता है. अग्नि-4 में नई तकनीकी खूबियां और आधुनिक प्रणाली है ताकि इसके प्रदर्शन में सुधार को सुनिश्चित किया जा सके.
महिलाओं की सफलता का राज
महिलाओं को अमूमन एक बेहतरीन कर्मचारी माना जाता है. महिलाओं का फोकस पुरुषों की अपेक्षा कहीं ज्यादा होता है. इसलिए वह जो भी पढ़ती या करती हैं उसे जल्दी समझ लेती हैं और दूसरी बात कि महिलाएं किसी काम को बेहतरीन ढंग से करती हैं. चाहे घर की जिम्मेदारी संभालना हो या ऑफिस की वह सब चीज चुटकी में हैंडल कर लेती हैं. यही वजह है कि अगर महिलाओं को बेहतर शिक्षा मिले और परिवार से सहयोग मिले तो वह काफी आगे निकल जाती हैं.
लेकिन भारत की एक समस्या है कि यहां शादी से पहले घर वाले लड़कियों को सिर्फ इसलिए पढ़ाते हैं ताकि उसे अच्छा दूल्हा मिल जाए और लाइफ सेट हो जाए और शादी के बाद ससुराल वाले अपनी बहू को बाहर पढ़ने-लिखने के लिए भेजना कतई पसंद नहीं करते. हालांकि यह सब पर लागू नहीं होता पर अधिकतर भारतीयों का यही हाल है. कुछ लोग इसके पीछे यह वजह भी बताते हैं कि महिलाएं घर से निकलने के बाद बदचलन हो जाती हैं जिससे इंकार भी नहीं किया जा सकता. पर हमें यह समझना होगा कि सभी उंगलियां एक समान नहीं होती. अगर महिलाओं को भी सही अवसर मिले तो वह भी आगे बढ़ सकती हैं. साथ ही महिलाओं को भी ऐसे व्यवहार से बचना चाहिए जिससे उनके चरित्र पर अंगुली उठे. एक सफल राष्ट्र की कल्पना तभी पूरी हो सकती है जब पुरुष और स्त्री कंधे से कंधा मिलाकर देश के विकास में भागीदार बनें.
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