इस छोटी सी लड़की जिसका प्यार का नाम ऐंज है, की मृत्यु इसी वर्ष जनवरी में हो गई थी. खैर मृत्यु के बाद भी मासूम ऐंज दुनिया से विदा नहीं हुई है. और सबकुछ उसके मां-बाप की योजना के अनुसार हुआ तो वह एक बार फिर जिंदा हो जाएगी भले ही उसे जीवित देखने के लिए उसके मां-बाप जिंदा बचे या नहीं.
छोटी सी ऐंज की मृत्यु ब्रेन कैंसर की वजह से हुई थी. ऐंज की मृत्यु के बाद भी उसके थाईलैंड निवासी माता-पिता को उम्मीद है कि एक दिन तकनीक इतनी विकसित हो जाएगी कि ऐंज को फिर से जिंदा कर देना संभव हो पाएगा. इस उम्मीद में ऐंज के मस्तिष्क को एंटी फ्रीज से भरकर एरिजोना के एक लॉकर में रखा गया है. इस तरह से ऐंज क्रायोप्रिजर्व होने वाली इतिहास में सबसे कम उम्र की इंसान बन गई.
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क्रायोप्रिजर्वेशन या क्रायोकंजर्वेशन एक तकनीक है जिसके जरिए शरीर की कोशिकाओं को शून्य डिग्री से भी कम तापमान में रखकर संरक्षित किया जाता है. इस तरह किसी रसायन, समय या अन्य कारणों का कोशिका पर प्रभाव नहीं पड़ता और वह सालों तक अपने संरक्षित किए जाने वाली अवस्था में बनी रहती है.
ऐंज के पिता का कहना है कि, “हमें विश्वास, है कि भविष्य में मृत्यु पर विजय प्राप्त कर लिया जाएगा.” ऐंज के 41 वर्षीय पिता सहटॉर्न और उनकी पत्नी नरीरत, दोनों इलेक्ट्रॉनिक इंजिनियर्स हैं. इन्होंने ने अपनी मृत बेटी के शरीर को क्रायोप्रिजर्व करने के लिए एल्कर लाईफ एक्सटेंसन फॉउनडेशन भेजा है जहां एक व्यक्ति के मस्तिष्क को क्रायोप्रिजर्व करने के 80,000 डॉलर यानी 51 लाख 10 हजार रुपए लगते हैं.
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ऐंज के माता पिता अपने शरीर को भी क्रायोप्रिजर्व कराने की सोच रहे हैं. हालांकि उनका मानना है कि अपनी बेटी को दुबारा जीवित देखने की उनकी संभावनाएं बेहद कम है. उनका अनुमान है कि जबतक उस तकनीक का विकास होगा जिसके जरिए ऐंज दुबारा जीवित हो पाएंगी, तबतक उन दोनों की मृत्यु हो चुकी होगी.
ऐंज के मां-बाप का मानना है कि भविष्य में टिस्सू टेक्नॉलजी इतनी विकसित हो जाएगी कि ऐंज के शरीर को फिर से निर्मित किया जा सकेगा. ऐंज के मां-बाप नहीं चाहते कि उनकी बेटी के मस्तिष्क को किसी मशीन में फिट किया जाए. Next…
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