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26/11 के वो जांबाज जिन्होंने आंतकियों से लड़ते हुए गवां दी अपनी जान, ये हैं उन ‘Real Heroes’ की कहानियां

रोजाना की तरह उस दिन भी सबकुछ ठीक चल रहा था. सब लोग अपने दोस्तों और करीबियों के साथ एक खुशनुमा वक्त बिता रहे थे कि अचानक एक कैफे में कुछ हलचल हुई। ये 26/11 के हमले की शुरुआत थी, जिसके बाद सिलसिलेवार तरीके से अपने आंतक का तांडव शुरू हो गया। आतंकियों ने पहला हमला छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन पर किया। मुहम्मद अजमल कसाब और स्माइल खान ने यहां अंधाधुंध गोलियां चलाईं। इस अटैक की कुछ तस्वीरें भी सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थीं, जो बाद में जमकर वायरल हुईं।

Pratima Jaiswal
Pratima Jaiswal26 Nov, 2018

 

 

एक तस्वीर में कसाब हाथ में एके47 राइफल लिए नजर आ रहा है। इसके बाद दूसरा हमला नरीमन हाउस बिजनेस एंड रेसीडेंशियल कॉम्प्लेक्स पर हुआ। हमले से कुछ देर पहले पास के गैस स्टेशन में बड़ा धमाका हुआ। जिसके बाद नरीमन हाउस में मौजूद लोग बाहर की तरफ आए और इसी दौरान आतंकियों ने उन पर फायरिंग कर दी। इन आंतकियों से लड़ते-लड़ते जाबांजों ने अपनी जान की बाजी तक लगा दी. आइए एक नजर डालते उन असली नायकों की कहानी पर।

 

तुकाराम ओंबले

मुंबई पुलिस के एएसआई तुकाराम ओंबले ही वह जांबाज थे, जिन्होंने आतंकी अजमल कसाब का बिना किसी हथियार के सामना किया और अंत में उसे दबोच लिया। इस दौरान उन्हें कसाब की बंदूक से कई गोलियां लगीं और वह शहीद हो गए। शहीद तुकाराम ओंबले को उनकी जांबाजी के लिए शांतिकाल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।

अशोक काम्टे

 

अशोक काम्टे मुंबई पुलिस में बतौर एसीपी तैनात थे। जिस वक्त मुंबई पर आतंकी हमला हुआ, वह एटीएस चीफ हेमंत करकरे के साथ थे। कामा हॉस्पिटल के बाहर पाकिस्तानी आतंकी इस्माइल खान ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी। एक गोली उनके सिर में आ लगी। घायल होने के बावजूद उन्होंने दुश्मन को मार गिराया।

 

विजय सालस्कर

एक समय मुंबई अंडरवर्ल्ड के लिए खौफ का दूसरा नाम रहे सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर विजय सालस्कर कामा हॉस्पिटल के बाहर हुई फायरिंग में हेमंत करकरे और अशोक काम्टे के साथ आतंकियों की गोली लगने से शहीद हो गए थे। शहीद विजय को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।

 

हेमंत करकरे

 

 

मुंबई एटीएस के चीफ हेमंत करकरे रात में अपने घर पर उस वक्त खाना खा रहे थे, जब उनके पास आतंकी हमले को लेकर क्राइम ब्रांच ऑफिस से फोन आया। हेमंत करकरे तुरंत घर से निकले और एसीपी अशोक काम्टे, इंस्पेक्टर विजय सालस्कर के साथ मोर्चा संभाला। कामा हॉस्पिटल के बाहर चली मुठभेड़ में आतंकी अजमल कसाब और इस्माइल खान की अंधाधुंध गोलियां लगने से वह शहीद हो गए। मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। करकरे ने मुंबई सीरियल ब्लास्ट और मालेगांव ब्लास्ट की जांच में भी अहम भूमिका निभाई थी…Next

 

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