15 अगस्त आने में अब बस कुछ दिन ही बचे हैं. पूरा देश एक बार फिर से देश की आजादी का जश्न मनाने के लिए तैयार है. देशभर में लोग तिरंगे को लेकर गर्व महसूस करते हैं. मगर क्या आपको पता है कि जिस झंडे पर हम इतना नाज करते हैं, उसे बनाने वाला कौन है. कौन है वो, जिसने इस खूबसूरत तिरंगे में रंग भरा. तो चलिए जानते हैं उस शख्स के बारे में.
30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज पर हुआ था गहन अध्ययन
जिस व्यक्ति ने भारत की शान तिरंगे का निर्माण किया, उनका नाम ‘पिंगली वेंकैया’ था. उन्होंने इस राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण 1921 में किया था. हालांकि इसे बनाना इतना आसान नहीं था. इसे बनाने से पहले उन्होंने 1916 से 1921 तक करीब 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वज का अध्ययन किया, उसके बाद कहीं जाकर अपने तिरंगे को बनाया.
शुरुआत में कुछ ऐसा होता था तिरंगा
पिंगली वेंकैया ने देश की एकता को दर्शाते हुए भारत के हर धर्म के रंग को तिरंगे में जगह दी थी. पहले तिरंगे के अंदर तीन रंगों का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें लाल रंग हिंदुओं के लिए, हरा रंग मुसलमानों के लिए और सफेद रंग अन्य धर्मों के लिए इस्तेमाल किया गया था. चरखे को प्रगति का चिह्न मानकर झंडे में जगह दी गई थी. 1931 में जो प्रस्ताव पारित किया गया, उसमें लाल रंग को हटाकर केसरिया रंग का इस्तेमाल किया गया.
कौन थे पिंगली वेंकैया?
पिंगली वैंकैया आंध्रप्रदेश में मछलीपत्तनम के निकट एक गांव के रहने वाले थे. पिंगली 19 साल की उम्र में ब्रिटिश आर्मी में सेना नायक बन गए. दक्षिण अफ्रीका में एंग्लो-बोअर युद्ध के दौरान उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई. इसके बाद वे हमेशा के लिए भारत लौट आए. भारत आने के बाद उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया. बाद में वे स्वतंत्रता सेनानी के रूप में पहचाने जाने लगे.
45 साल की उम्र में किया ध्वज का निर्माण
करीब 45 साल की उम्र में पिंगली ने राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण किया. 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा में राष्ट्रीय ध्वज को सर्वसम्मति से अपना लिया गया. हालांकि ध्वज में से चरखे को हटाकर सम्राट अशोक का धर्मचक्र इस्तेमाल किया गया…Next
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