भारतीय वायुसेना की फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी ने अकेले मिग-21 फाइटर प्लेन उड़ाकर इतिहास रच दिया। 19 फरवरी को सुबह अवनी ने गुजरात के जामनगर एयरबेस से उड़ान भरी और सफलतापूर्वक अपना मिशन पूरा किया। वे अकेले फाइटर एयरकाफ्ट उड़ाने वाली भारत की पहली महिला बन गई हैं। इस कारनामे के बाद देश भर में अवनी सुर्खियों में हैं। हर भारतीय उन पर नाज कर रहा है। उनकी सफलता लोगों के लिए प्रेरणा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आज सफलता की बुलंदियों पर पहुंचीं अवनी का सफर एक छोटे से कस्बे से शुरू हुआ था। एक खास घटना की वजह से अवनी ने फाइटर पायलट बनने का सपना देखा और अपनी इस ख्वाहिश को मुकाम तक पहुंचाया। आइये आपको बताते हैं कि ऐसा क्या हुआ था, जो अवनी ने फाइटर पायलट बनने का सपना देखा।
मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के एक कस्बे से स्कूली शिक्षा
मध्य प्रदेश के रीवा जिले की निवासी अवनी का जन्म 27 अक्टूबर 1993 को हुआ। उनके पिता दिनकर चतुर्वेदी मध्य प्रदेश सरकार के वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट में एग्जिक्यूटिव इंजीनियर हैं और उनकी मां घरेलू महिला हैं। अवनी के बड़े भाई भी आर्मी ऑफिसर हैं। अवनी की स्कूली शिक्षा मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के एक छोटे से कस्बे देउलंद में हुई। 2014 में उन्होंने राजस्थान की बनस्थली विद्यापीठ (यूनिवर्सिटी) से बीटेक किया। इसके बाद इंडियन एयरफोर्स का एग्जाम पास किया। 25 साल की अवनी ने अपनी ट्रेनिंग हैदराबाद एयरफोर्स एकेडमी में पूरी की।
विमान में उड़ने का मौका और शुरू हुआ फाइटर पायलट बनने का सफर
कॉलेज में पढ़ाई करने के दौरान अवनी को फ्लाइंग क्लब में विमान में उड़ने का मौका मिला। यही से शुरू हुआ उनके फाइटर पायलट बनने का सफर। उस उड़ान के बाद अवनी ने तय किया कि वे भारतीय वायुसेना में पायलट बनेंगी। महिला फाइटर पायलट बनने के लिए 2016 में पहली बार तीन महिलाओं अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना को वायुसेना में कमिशन किया गया। साल 2016 में जब अवनी वायुसेना में बतौर फाइटर प्लेन पायलट कमीशन हुई थीं, तब उन्होंने कहा था कि हर किसी का सपना होता है कि वो उड़ान भरे। अगर आप आसमान की ओर देखते हैं, तो पंछी की तरह उड़ने का मन करता है। वे कहती हैं कि आवाज की स्पीड में उड़ना एक सपना होता है और अगर ये मौका मिलता है, तो एक सपना पूरा होने सरीखा है।
फाइटर पायलट बनने की दिशा में पहला कदम
बता दें कि अवनी को टेनिस खेलना और पेंटिंग करना काफी पसंद है। वे कहती हैं कि फाइटर पायलट बनने में परिवार का काफी सपोर्ट मिला। अवनी ने अकेले फाइटर प्लेन उड़ाकर साबित कर दिया कि दुनिया में कोई ऐसा काम नहीं है, जो महिलाओं के लिए नामुमकिन है। फाइटर प्लेन को अकेले उड़ाना पूर्णरूप से फाइटर पायलट बनने की दिशा में उनका यह पहला कदम है…Next
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