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भारत को पहला टेस्ट ट्यूब बेबी देने वाले इस वैज्ञानिक को खोज के बाद करनी पड़ी आत्महत्या

विज्ञान का चमत्कार इंसान के जीवन को किस तरह बदल सकता है इस बात को हम सभी जानते हैं. विज्ञान के आविष्कार में से एक है टेस्ट ट्यूब बेबी जिसकी मदद से वो लोग संतान का सुख भोग सकते हैं जिन्हें संतान का सुख नहीं मिल रहा है. वैसे आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में पहले टेस्ट ट्यूब बेबी की खोज कलकत्ता में 1978 में हुई थी.


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1978 में हुई थी पहले टेस्ट ट्यूब बेबी की खोज

ये बात बिल्कुल सच है कि 1978 में भारत में पहले टेस्ट ट्यूब बेबी पर सफल परीक्षण किया था. यह खोज दुनिया के दूसरे और भारत के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी का सफल परीक्षण माना जाता है. कोलकाता के डॉक्टर सुभाष मुखोपाध्याय ने पहली बार इस परीक्षण से लोगों को अवगत कराया. सुभाष ने 1978 में इस बात को सबके सामने स्वीकारा था कि उनके द्वारा किया गया पहला टेस्ट ट्यूब बेबी का परीक्षण सफल रहा है.


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लोगों ने नकारी थी उनकी खोज

उस दौर में ऐसे किसी चीज की कल्पना करना भारत के लोगों के लिए बहुत बड़ी बात थी. वहां के डॉक्टर समेत बंगाल की सरकार ने भी उनके इस परीक्षण को सही नहीं बताया था. सरकार और डॉक्टर्स ने उनके परीक्षण को अवैध करार दिया. साथ ही उनके इस खोज को अघोषित मान लिया गया.


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1981 में कर ली खुदखुशी

दरअसल डॉक्टर सुभाष के इस खोज को लोग उनका मजाक उड़ाने लगे. यही नहीं उस वक्त बंगाल सरकार ने भी उन्हें बतौर डॉक्टर उनके पद से हट जाने को कहा था. इन सारी बातों से परेशान होकर आखिरकार डॉक्टर सुभाष ने 1981 में आत्महत्या कर ली.



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2002 में उनके काम को मिली पहचान

सुभाष द्वारा की गई खोज को सबके सामने लाए तो हर कोई हैरान रह गया. तब लोगों को पता चला कि भारत ने इस खोज को कितने साल पहले जान लिया था…Next


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