कहते हैं कि आंतकवाद का कोई धर्म, कोई मजहब नहीं होता, लेकिन ये भी सच है कि इन दिनों धर्म आंतकवाद का आधार बनता दिख रहा है. बांग्लादेश में हुए आईएसआईएस के आंतकी हमले ने ये बात एक बार फिर से साबित कर दिखाई है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो कुरान की आयतें न सुना सकने वाले लोगों को आंतकवादियों ने बड़ी ही बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया. बांग्लादेश के एक रेस्टोरेंट में हुई वारदात ने भारत में 26/11 ताज होटल की आंतकी घटना की याद एक बार फिर से ताजा कर दी है. 26/11 की घटना भी कम हिंसक नहीं थी. इस हमले में 166 लोगों को मौत के घाट उतारने के साथ करीब 600 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता था अगर कुछ जांबाज लोगों ने आगे बढ़कर लोगों को बचाया नहीं होता. 26/11 मुंबई, ताजहोटल हमले के ऐसे ही एक नौजवान थे रवि धरनिधरका, जिन्होंने उस वक्त 157 लोगों की जान बचाई थी. अपनी जान पर खेलकर 157 लोगों की जान बचाने वाले रवि की कहानी सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो सकते हैंं.
दरअसल रवि काफी लम्बे अरसे बाद अपने अंकल और भाई से मिलने के लिए ताज होटल पहुंचे थे. वहां पहुंचकर उन्होंंने देखा कि होटल के मेन गेट के साथ, पूरे होटल को आंतकियों ने घेर लिया था. इसके बाद उन्होंने बिना अपनी जान की परवाह किए उस हॉल के फर्श पर कुर्सियां और टेबल जहां-तहां गिरा दी ( जहां वो अपने भाई और अंकल के साथ बैठे थे). जिससे आंतकियों को अंदर हॉल में आने में वक्त लगे. उस समय हॉल में करीब अन्य 157 लोग बैठे थे. रवि सभी लोगों को हॉल से किचन की तरफ ले गए. इस दौरान उन्होंने चाकू, चम्मच आदि का वार करके खुद की जान बचाई.
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कुछ समय बाद ही उन्हें 2 विस्फोटों की आवाज सुनाई दी, जहां से वो लोग बचकर भागे थे. आंतकियों ने आरडीएक्स से उस जगह को उड़ा दिया था. 157 लोग अब यूएस मैरिन सिपाही रवि के भरोसे थे. रवि ने सीढ़ियों से होते हुए सभी लोगों को दूसरे हॉल में ले जाने की योजना बनाई लेकिन एक 84 साल की बुर्जुग महिला छठीं मंजिल पर चढ़कर जाने में अक्षम थी.
उन्होंने खुद को छोड़कर जाने को कह दिया लेकिन रवि ने उनकी बातों को अनसुना करके उन्हें अपनी गोद में उठा लिया. दूसरे हॉल में सेफ पहुंचने के साथ ही भारतीय सेना ने आंतकियों पर काबू पा लिया और इस तरह रवि ने 157 लोगों की जान बचा ली…Next
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