क्या आपने कभी ऐसे हालातों का सामना किया है जहां किसी विशेष धर्म से जुड़े होने के कारण आपको अपना नाम तक छुपाकर रखना पड़े. ऐसा करने के पीछे सिर्फ कारण हो कि कोई आपको आपके नाम की वजह से कोई चीज न दे, क्योंकि किसी भी व्यक्ति के नाम से उसका धर्म पता चलता है. लेकिन वो कहते हैं न, कि एक न एक दिन सच्चाई सबके सामने जरूर आती है. 21 साल के अंसार अहमद शेख के पिता ऑटो चलाते हैं. घर महाराष्ट्र के जालना जिले के शेडगांव में है. उसने पहली ही कोशिश में यूपीएससी का एग्जाम पास कर लिया. उसकी ऑल इंडिया रैंक 361 है.
एग्जाम में तनाव को कम करने का ये है अनोखा तरीका
ग्रेजुएशन और उसके बाद यूपीएससी की तैयारी के लिए अंसार अहमद पुणे चला आया. फर्ग्युसन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन की, फिर सिविल सर्विसेस की तैयारी में जुट गया. लेकिन अपने मुस्लिम नाम की वजह से उसे मनचाही जगह पर किराए का घर नहीं मिला. तब उसने अपना नाम बदलकर शुभम रख लिया, ताकि बिना भेदभाव के इस शहर में रहकर पढ़ाई कर सके. वह खुश है कि अब सबको अपना नाम वह बता सकता है. अपने जीवन के कड़वे अनुभव को बताते हुए अंसार अहमद शेख कहते हैं, ‘मुझे याद है जब मैं पीजी खोजने निकला था. मेरे हिंदू दोस्तों को आसानी से कमरे मिल गए, पर मुझे मना कर दिया गया. इसलिए अगली बार मैंने अपना नाम शुभम बताया, जो दरअसल मेरे दोस्त का नाम था.
पास होने के लिए स्टूडेन्ट ने लिखी निजी बातें, टीचर्स हुए हैरान
लेकिन अब मुझे अपना नाम छिपाने की जरूरत नहीं है.’ अपने परिवार के बारे में बताते हुए अंसार ने कहा ‘मेरे वालिद साहब की तीन बीवियां थीं. मेरी मां उनकी दूसरी बीवी हैं. हमारी फैमिली में पढ़ाई-लिखाई की अहमियत नहीं थी. छोटे भाई ने स्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. दो बहनों की जल्दी शादी कर दी गई थी. जब मैंने घर पर फोन करके बताया कि मैंने यूपीएससी का एग्जाम पास कर लिया है और अब आईएएस अफसर बन सकता हूं, तो वे हैरान रह गए.’ भविष्य के बारे में पूछने पर इस मेधावी छात्र ने बताया कि वो आगे धर्म की संकीर्ण विचारधाराओं से ऊपर उठकर काम करना चाहता है….Next
Read more
जब विदाई से पहले दूल्हे को छोड़ दुल्हन पहुंची देने परीक्षा
बिहार में नकल को रोकने के लिए उठाया गया यह कदम
शिक्षक को खुश करने और परीक्षा में ज्यादा अंक लाने के लिए विद्यार्थियों को करना पड़ा ये सब
Read Comments