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प्रधानमंत्री की रिपोर्टकॉर्ड अंडर अचीवर – टाइम मैगजीन

प्रधानमंत्री के वादें हैं वादों का क्या, मजबूरियां हैं गठबंधन की तो फिर देश का क्या


Time calls PM ‘underachiever’

प्रधानमंत्री एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं. अमेरिका की मशहूर टाइम मैगजीन ने प्रधानमंत्री को अंडर अचीवर प्रधानमंत्री करार दिया है. टाइम मैगजीन में ” A man in shadow “ नाम से छपी रिपोर्ट में डॉ मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री होने पर सवाल खड़े कर दिए गए हैं कि क्या मनमोहन सिंह अपनी सरकार को नाकामी से उबारने के लिए गंभीर हैं. जहां एक तरफ बीजेपी ने मनमोहन सिंह को नाकाम सरकार का मुखिया बताया है वहीं दूसरी तरफ यूपीए सरकार अपना बचाव करती दिख रही है. यूपीए सरकार का कहना है कि गठबंधन की अपनी मजबूरियां होती हैं.


टाइम मैगजीन के लिए प्रधानमंत्री अंडर अचीवर क्यों?

तीन साल पहले तक प्रधानमंत्री में पाया जाने वाला आत्मविश्वास अब नदारद है. प्रधानमंत्री का अपने मंत्रियों पर नियंत्रण नहीं है जिससे फैसला लेने में देरी हो रही है. सरकार को अर्थव्यवस्था में गिरावट के अलावा भ्रष्टाचार से भी जूझना पड़ रहा है. बढ़ती महंगाई और घोटालों ने सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है और नतीजा ये कि मनमोहन सरकार पर वोटरों का भरोसा कम होता जा रहा है. मैगजीन ने प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी के बीच शक्तियों के अघोषित बंटवारे को भी एक बड़ा रोड़ा करार दिया है जिससे प्रधानमंत्री फैसला नहीं कर पा रहे हैं. टाइम के अनुसार, वर्ष 2014 के आम चुनाव में वोटर इस बात का जवाब देंगे कि वे मनमोहन के बारे में क्या सोचते हैं.


आखिरकार कहां तक अंडर अचीवर हैं प्रधानमंत्री

मैं हूं ना की तर्ज पर खुद वित्त मंत्रालय संभालने का फैसला करके मनमोहन सिंह ने घबराए बाजार, नाराज कारपोरेट जगत और बेचैन देशी विदेशी निवेशकों को एक प्रकार की आस्वस्ति दिलाने की कवायद शुरू की पर ये वादे हैं वादों का क्या? 2 जी स्पेक्ट्म, कॉमनवेमल्थ गेम्स, आदर्श सोसाइटी जैसे घोटालों सहित सरकार पर पॉलिसी पैरालिसिस का साया नजर आता रहा मतलब नीतिगत फैसले को लेने में प्रधानमंत्री पंगु नजर आए. 2011-2012 की आखिरी तिमाही में आर्थिक विकास दर 5.3 फीसदी रही जो पिछले दस सालों में सबसे कम है. खुदरा व्यापार में विदेशी पूंजी को अनुमति, बीमा और उड्डयन क्षेत्र में मौजूदा विदेशी पूंजी निवेश की सीमा में बढोत्तरी, श्रम सुधारों को आगे बढ़ाने का कठिन फैसला लेने में प्रधानमंत्री केवल गठबंधन को सरकार की नाकामी बताते रहे पर आज टाइम मैगजीन ने प्रधानमंत्री के सभी जवाबों पर सवाल खड़ा कर दिया है कि कब तक बढ़ते हुए राजकोषीय घाटे और गिरते रुपये के लिए केवल गठबंधन सरकार को कारण बताकर देश के प्रति जिम्मेदारियों को नजरअंदाज किया जाता रहेगा.

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